Wednesday, July 27, 2016

🐛अपने ककून से संघर्ष 🐛Struggle with Cocoon

🐛अपने ककून से संघर्ष 🐛

👉22👉तु मेरा नहीं बनता तो मत बन....अपना तो बन👈22👈

🐣एक राहगीर को सड़क किनारे किसी झाड़ पर एक तितली का अधखुला कोकून(यह एक खोल होता है जिसमें से तितली का जन्म होता  है )  दिखा ।
🐣वहां बैठकर कुछ घंटे उस  तितली को देखता रहा जो छोटे से छिद्र से बहार निकलने के लिए जी-तोड़ कोशिश किये जा रही थी. पर उससे बाहर निकलते नहीं बन रहा था। ऐसा लग रहा था कि तितली का उससे बाहर निकलना सम्भव नहीं है।
🐣उस आदमी ने सोचा कि तितली की मदद की जाए। उसने कहीं से एक कतरनी लाया  और तितली के निकलने के छेद को थोड़ा सा बड़ा कर दिया।
🐣अब  तितली उसमें से आराम से निकल सकती थी । लेकिन वह बेहद कमज़ोर लग रही थी और उसके पंख भी नहीं खुल रहे थे।
🐣आदमी बैठा-बैठा तितली के पंख खोलकर फडफडाने का इंतजार करता रहा।
🐣लेकिन ऐसा नहीं हुआ।तितली ककून में ही फड़-फड़ाती रही पर तितली कभी नहीं उड़ पाई, और एक दिन मर गयी .
🐣उस व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हुआ ?
🐣उस आदमी ने मदद किया काम आसान की,फिर क्यों नहीं उड़  पायी ?
🐣दरअसल उस राहगीर को यह नहीं मालुम था की तितली का यही संघर्ष उसे जिंदगी में उड़न भरने का मौका देता है. उससे  बाहर आने की प्रक्रिया में ही उस तितली के तंतु जैसे पंखों में पोषक द्रव्यों का संचार होता है ,
🐣 यह प्रकृति की व्यवस्था थी कि तितली  अथक प्रयास करने के बाद ही ककून  से  पुख्ता  होकर बाहर निकलती है .
🐣इसी तरह हमें भी अपने जीवन में संघर्ष करने की ज़रूरत होती है।
🐣यदि प्रकृति और जीवन हमारी राह में किसी तरह की बाधाएं न आने दें तो हम सामर्थ्यवान कभी न बन सकेंगे।
🐣जीवन में यदि शक्तिशाली और सहनशील बनना हो तो कष्ट तो उठाने ही पड़ेंगे।

👊गौरतलब: जिंदगी में ऊँची उडान भरने  के लिए अपने ककून (कठिन परिस्थिति) से संघर्ष  जरुरी है ,
👊संघर्ष जितना लम्बा और कठिन होगा  आपकी उपलब्धि उतनी बड़ी और  पुख्ता होगी.

😢अल्लाह (ईश्वर) हम सब पर रहम करे ...और हम सब को कठिन परस्थितियों से जल्द से जल्द निजात दें
😪क्योंकि बोलना और कहानी सुनाना तो बहुत आसान है लेकिन हालात से गुज़रना बहुत तकलीफ दे होता है ...होता है की नहीं ??

 ♻All the best !♻

🔜बाकी बातें बहुत जल्द...🔜🔙

🌟🌟🌟part -- 22 OCT 14 -2015🌟🌟🌟
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"मौत जीवन का एकमात्र सर्वोत्तम अविष्कार है"

👺👽💀
😎"मौत जीवन का एकमात्र सर्वोत्तम अविष्कार है"-2😎
👉21👉तु मेरा नहीं बनता तो मत बन....अपना तो बन👈21👈
🚉20 सितम्बर को बात हुयी थी की "मौत जीवन का एकमात्र सर्वोत्तम अविष्कार है" आज बात को कुछ और आगे बढ़ाते हैं
🚉एक दिन अगर हमें जाना है, तो जीवन को उसी हिसाब से जीना होगा.
 🚉एक-एक दिन का उपयोग करते हुए पूरी विनम्रता के साथ आगे बढ़ना होगा.
🚉हम ना हमारा जाना रोक सकते हैं, ना अपने प्रियजनों का.
🚉इसलिए एक-एक पल को उपहार समझ कर जीना हमारा मकसद होना चाहिए.
🚉हम सब यहां अपनी जिम्मेदारियां निभाने आए हैं,
🚉सफलता हासिल करने आए हैं.
🚉जितने दिन इस दुनिया में हैं, कुछ अच्छा कर जाएं.
 🚉इस धरती पर जितने भी कामयाब लोग हैं,
🚉उनकी सफलता की कहानी इसी विचार ने लिखी है कि
🚉वे यही मानते थे कि आज का दिन अंतिम है
🚉और यह जीवन यात्रा एक चुनौती है.
🚉इस यात्रा के लिए ही कहा गया है,
🚉"कर्म किए जा, फल की चिंता मत कर.
🚉यह यात्रा ही हमारा पुरस्कार है.
 ♻All the best !♻

🔜बाकी बातें बहुत जल्द...🔜🔙

🌟🌟🌟part -21- OCT 4 -2015🌟🌟🌟
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एक अपील An Appeal

🍀🌱🍀 एक अपील An Appeal
🍀🌱🍀
🐄कुर्बानी किस लिये होती है ? कुर्बानी क्यों करते हैं ?
🐄अल्लाह रब्बुआलेमीन अपने बन्दों से जान माल की कुर्बानी क्यों लेना चाहता है ? इस पर तो आपने उलेमाये हक से बहुत सी बातें सुनी होंगी। इसलिये हम इस पर कोई गुफतगु नहीं करेगे ...बस एक छोटी सी अपील करेंगे कि....
➡आपके पास कुर्बानी का जो जायद गोश्त हो उसे गरीबों में तकसीम करने का नज़्म बनायें
➡गाॅव देहात मोहल्ले और दूर दराज़  में जो लोग कुर्बानी नहीं करवा पाते उन तक भी कुर्बानी का गोश्त पहुॅच जाये। खाने के लालच में गोश्त को फिरीज़ में रख कर 🐄कुर्बानी को ज़ाया और कुर्बानी के जज़्बे को बरबाद न करें।
🐄खाल और गोश्त केा मजदूरी में कसाई को  न दें
❌खाल ऐसे मदरसों को न दें जिन मदरसों के मौलाना मुदर्रिस सरकारी तन्ख्वाह पाते हैं
❌खाल ऐसे मदरसों को  न दें जिन मदरसों के बच्चे सरकारी वजीफा पाते हैं
💯✔खाल ऐसे मदरसों को ही दें जो अपने यहाॅ कुरान हिफ्ज करवाते हों
💯✔खाल ऐसे मदरसों को हीे दें जो अपने यहाॅ कुरान हिफ्ज के साथ साथ आलीमाना कोर्स चलाते हों
❌खाल मदरसों को देकर मदरसों से कमीशन वसूलने वालों को कत्तई न दें...कमीशन 25 से 45 प्रतिशत तक है।
❤कुर्बानी कुर्बानी होती है कुर्बानी को कबाब बिर्यानी के टेस्ट से न आॅके
🐄अल्लाह तक न कुर्बानी गोश्त पहुॅचता है न खून ...
❤पहुॅचता है तो बस जज्बा  ...जज्बा खलिस हो या दिखावा...
🍀दुनिया के सारे मजहबों धर्मो केा अगर गौर से देखा जाये तेा सभी में कुछ परम्परायें त्योहार व रीति-रिवाज और कर्मकाण्ड है जिनको करके लोग धार्मिक और मजहबी बन जाते हैं
🍀उन त्योहारों के मकसद पर अगर आप गौर करें तो आप को कोई मकसद नजर नहीं आयेगा
🍀न हीे उसमें लिल्लाहियत होगी न हीं ईश्वर होगा बस आडम्बर, शोर शराबा पल्यूशन और ऐसा माहेाल की हर शरीफ इंसान को दहशत सी हो जाये।
🌴त्योहारों के मामले में अगर आप इस्लाम को देखेंगे और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहेा अलैहि वसल्लम के जरिये मुसलमानों में रायज किये गये त्योहारों के देखेंगे
🌴और गौर करेंगे तो आपको बस जज़्बये तौहीद ..लिल्लाहियत... अल्लाह के लिये जीना...अल्लाह के लिये मरना....अल्लाह के लिये दोस्ती ...अल्लाह के लिये दुश्मनी....
🌴और अल्लाह की रज़ा के लिये जान-माल की कुर्बानी ही  नजर आयेगी ... न शोर शराबा न दिखावा बस सादगी और लिल्लाहियत ै...
 🌴इसी लिये इस दीन केा मानने वाला और कुरान समझने वाला बेसाख्ता कह उठता है ‘‘बेशक मेरी नमाजें मेरी इबादतें मेरा जीना मेरा मरना सब कुछ अल्लाह रब्बुल आलेमीन के लिये है’’
🌴और अल्लाह के आखरी रसूल पर ईमान लाने वाला अपने दिल व दिमाग से कभी निकलने नहीे देता कि, ‘‘हम सब अल्लाह हीे के है और हमें उसी के पास लौट कर जाना है’’।
😪एक मोमिन मुस्लिम जब अल्लाह के आखरी रसूल की जिन्दगी की तरफ रूख करता है तो उसके आॅखों मेे आॅसू आ जाते है और उसके दिल से बेसाख्ता ये आवाज निकलती है..
🌴‘‘ मै अपना रूख उस ज़ात की तरफ करता हॅू, जिसने जमीन और आसमान की तखलीक फरमाई और ये कि, मैं पूरे ईमान के साथ दीने इब्राहीम पर कायम हॅू और मैं शिर्क करनें वालों में से नहीं हूॅ
🌴और बिला शुबा मेंरी नमाज और मेंरी तमाम इबादतें और मेरा जीना व मरना सब अल्लाह रब्बुल आलेमीन के लिये है, जिसका कोई शरीक नहीं,
🌴और मुझे इस (कुर्बानी) का हुक्म दिया गया है और मैं हुक्म की इताअत करनें वालों में से हॅू...
🌴ऐ अल्लाह ये कुर्बानी तेरी ही अता से है और ये कुर्बानी तेरी हीे रजा के लिये है Name of personअल्लाह के नाम के साथ और अल्लाह सबसे बड़ा है ’’

❤नोट-जहाॅ Name of Person हैं वहाॅ पर कुर्बानी देने वाला अपना नाम पढ़ता हे

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DEEn aur AAKHIRAT-13

🙈DEEN aur AAKHIRAT-13
🙉 Monday June 20 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Thirteen🙉🙊
👆👆👆✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊👆👆👆
❓रोज़ा क्या और क्यों? Fasting in Islam
☪इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड (Universe)और इंसान का, अल्लाह (ईश्वर) एक है। ईश्वर (अल्लाह) ने इंसान को बनाया और उसकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रबंध किया। इंसान को इस ग्रह पर जीवित रहने के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम दिया। इंसान को उसके मूल प्रश्नों का उत्तर भी बताया।

❓इंसान को क्या कोई बनाने वाला है?
❓अगर है, तो वह क्या चाहता है?
❓इंसान को पैदा क्यों किया गया?
❓इंसान के जीवन का उद्देश्य क्या है?
❓अगर है, तो उस उद्देश्य को पाने का तरीक़ा क्या है?
❓इंसान को आज़ाद पैदा किया गया या मजबूर?
❓अच्छी ज़िन्दगी कैसे गुज़ारी जा सकती है?
❓मरने के बाद क्या होगा? इत्यादि। यह इंसान के बुनियादी सवाल हैं, जिनका जानना उसके लिए बहुत ज़रुरी है।
📓क़ुरआन बताता है कि दुनिया इंसान के लिए एक परीक्षास्थल है। इंसान की ज़िन्दगी का उद्देश्य ईश्वर (अल्लाह) की इबादत (उपासना) है। (क़ुरआन, 51:56) इबादत का अर्थ ईश्वर (अल्लाह) केन्द्रित जीवन (God-centred life) व्यतीत करना है।
📓इबादत एक पार्ट-टाइम नहीं, बल्कि फुल टाइम अमल है, जो पैदाइश से लेकर मौत तक जारी रहता है।
📓वास्तव में इंसान की पूरी ज़िन्दगी इबादत है, अगर वह ईश्वर (अल्लाह) की मर्ज़ी के अनुसार व्यतीत हो। ईश्वर (अल्लाह) की मर्ज़ी के अनुसार जीवन व्यतीत करने का आदी बनाने के लिए, आवश्यक था कि कुछ प्रशिक्षण भी हो, इसलिए नमाज़, रोज़ा (निराहार उपवास), ज़कात और हज को इसी प्रशिक्षण के रूप में रखा गया।
📓इनमें समय की, एनर्जी की और दौलत की क़ुरबानी द्वारा इंसान को आध्यात्मिक उत्थान के लिए और उसे व्यावहारिक जीवन के लिए लाभदायक बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस ट्रेनिंग को बार-बार रखा गया, ताकि इंसान को अच्छाई पर स्थिर रखा जा सके, क्योंकि इंसान अन्दर व बाहर से बदलने वाला अस्तित्व रखता है।
📓ईश्वर (अल्लाह) सबसे बेहतर जानता है कि कौन-सी चीज़ इंसान के लिए लाभदायक है और कौन-सी हानिकारक। ईश्वर (अल्लाह) इंसान का भला चाहता है इसलिए उसने हर वह काम जिसके करने से इंसान स्वयं को हानि पहुँचाता, करना हराम (अवैध) ठहराया और हर उस काम को जिसके न करने से इंसान स्वयं को हानि पहुँचाता, इबादत कहा और उनका करना इंसान के लिए अनिवार्य कर दिया।
♨अल्लाह हम सब को मकसदे तखलीक समझने की तौफीक अता करे ...
♨और हम में इबादत, ज़िक्र व असतगफार की तैाफीक अता करे

🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
🌿रमजान के बारे में अगर आपके पास अच्छा और मुख्तसर मैटर हो तो हमें भेंजें
⚙जैनुल आब्दीन इनीशियेटिव
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☎9838658933
📩ईमेल e.mail--19career@india.com
🕷🌐 messagesnmindset.blogspot.com

बादशाह ग़ुलाम : King Slave

एक बादशाह का ग़ुलाम घोड़े पर सवार मग़रूर के आलम में चला आरहा था, सामने एक बुज़ुर्ग आ गए...। उन्होंने उस मग़रूर ग़ुलाम से कहा: ये अकड़ ख़ानी तो अच्छी नहीं...। ग़ुलाम ने और ज़्यादा अकड़ से कहा: मैं फ़ुलां बादशाह का ग़ुलाम हूँ, और वो बादशाह मुझ पर बहोत भरोसा करता है... जब वो सोता है तो मैं उसकी हिफ़ाज़त करता हूँ, जब उसे भूख लगती है तो मैं उसे खाना देता हूँ, कोई हुक्म देता है तो फ़ौरन बजा लाता हूँ...।

ये सारे अल्फ़ाज़ सुनकर बुज़ुर्ग ने पूछा और जब तुमसे कोई ग़लती हो जाती है तब? ग़ुलाम ने जवाब दिया: इस सूरत में मुझे कौड़े लगते हैं...। इस पर बुज़ुर्ग बोले: तब तुमसे ज़्यादा मुझे अकड़ना चाहिए...। ग़ुलाम ने हैरान होकर पूछा, वो कैसे...?

बुज़ुर्ग बोले मैं ऐसे बादशाह का ग़ुलाम हूँ कि जब मैं भूखा होता हूँ तो वो मुझे खिलाता है...। जब मैं बीमार होता हूँ वो मुझे शिफ़ा देता है...। जब मैं सोता हूँ तो वह हर तरह मेरी हिफ़ाज़त करता है...। जब मुझसे ग़लती हो जाए और मैं उससे माफ़ी मांग लूं तो बगैर कोई सज़ा दिये अपनी रहमत-ओ-मेहरबानी से मुझे बख़्श देता है...। ये सुनकर उस मग़रूर ग़ुलाम ने कहा तब तो मुझे भी उसका ग़ुलाम बना दें...। बुज़ुर्ग फ़ौरन बोले बस तो फिर अल्लाह का हो जा, ऐसा मालिक तुम्हें कहीं नहीं मिलेगा...।

मिट्टी का बर्तन::Pot of Clay

हज़रत बिलाल हब्शी रज़ियल्लाहु अन्हू को जब जलते हुए कोयलों पर लिटा कर कोड़े मारे जा रहे थे तब रास्ते से गुज़रते हुए किसी शख़्स ने उनसे कहा कि:
"बिलाल बड़ी अजीब कहानी है, तुम कोयलों पर लेटे हो, वह कोड़े मार रहा है और तुम मुस्कुरा रहे हो"
तो हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हू ने हंस कर फ़रमाया:
"जब तुम बाज़ार जाते हो और कोई मिट्टी का बर्तन भी ख़रीदते हो तो उसको भी ठोक-बजा के देखते हो कि इसकी आवाज़ तो ठीक है? कहीं कच्चा तो नहीं है..
बस मेरा मालिक(अल्लाह) बिलाल को ख़रीद रहा है, देख रहा है कहीं बिलाल कच्चा तो नहीं है.. मैं कहता हूँ ऐ मालिक ख़रीद ले बिलाल को, चमड़ी उधड़ भी जायेगी तब भी हक़-हक़ की आवाज़ ख़त्म नहीं होगी" (सुब्हान'अल्लाह)

इस शेर से कुछ मामला समझ आएगा

ज़ख्म पे ज़ख्म खा के जी..
ख़ून-ए-जिगर के घूँट पी..
आह न कर लबों को सी..
यह इश्क़ है दिल्लगी नहीं..

इसे पढ़ कर सुब्हान'अल्लाह कहना बहुत आसान है लेकिन इस रास्ते पर चलना बहुत मुश्किल है मेरे भाइयों...
जो लोग यह कहते हैं कि इस दौर में शरीअत पर चलना बहुत मुश्किल है वो लोग हज़रत बिलाल और बाक़ी सहाबा की क़ुर्बानियों को देखें और फैसला करें कि आज दीन पर चलना मुश्किल है या उस दौर में मुश्किल था, हम तो सारी सहूलतें मिलने के बाद भी मस्जिद जाने की तकलीफ़ नहीं उठा सकते तो जन्नत में जाने की उम्मीद कैसे लगा सकते हैं...
सहाबा इकराम को देखो कि वो कितनी मुश्किलों से गुज़रे हैं, उनके रास्ते में जंग-ए-बदर भी है, जंग-ए-ओहद भी है, जंग-ए-हुनैन भी है और जंग-ए-कर्बला भी है.. तब जा कर जन्नत मिली और हम सोचते हैं बस मुँह उठा कर चले जायेंगे जन्नत में..
आज हम इकठ्ठे हो कर किसी दीनी महफ़िल में नारा लगा कर समझते हैं कि हमने दीन का हक़ अदा कर दिया...?
नहीं मेरे भाइयों.. हमें समझने की ज़रूरत है कि दीन हमसे क्या मुतालबा कर रहा है...

नमाज़ जो कि अल्लाह को इबादतों में सबसे ज़्यादा पसंदीदा है इसको ही ले लो

हुज़ूर पाक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि:
"मेरी आँखों की ठंडक नमाज़ है"

सहाबा फ़रमाते हैं कि:
"हम मोमिन और काफ़िर के बीच फ़र्क़ ही नमाज़ से समझते थे, जो नमाज़ नहीं पढ़ता था हम समझते थे कि मोमिन नहीं है तभी नमाज़ नहीं पढ़ता, मोमिन होता तो ज़रूर पढ़ता"

इमाम-ए-आज़म का फ़तवा है कि:
"जो नमाज़ न पढ़े उसे क़ैद कर दो, अगर तौबा करता है और नमाज़ पढ़ना शुरू कर देता है तो छोड़ दो"

शेख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी(ग़ौस-ए-आज़म) रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं कि:
"बे-नमाज़ी को मुसलमानों के क़ब्रिस्तान में दफ़न न करो"

हज़रत सुल्तान-ए-बाहू फ़रमाते हैं कि:
"बे-नमाज़ी से खंज़ीर(सूअर) भी पनाह मांगता है"

हज़रत शेख़ सादी ने फ़रमाया कि:
बे-नमाज़ी को क़र्ज़ मत दो क्योंकि जो अल्लाह का क़र्ज़(नमाज़) अदा नहीं करता वह तुम्हारा क़र्ज़ क्या अदा करेगा"

रसूल पाक के चाहने वाले,
इमाम-ए-आज़म के मानने वाले,
ग़ौस-ए-आज़म की ग्यारहवीं की नियाज़ करने वाले ज़रा अपने दिलों में झांकें कि क्या वह अल्लाह और रसूल का हक़ अदा कर रहे हैं और नमाज़ तो ऐसी इबादत है कि अगर सच्चे दिल से इसे थाम लिया तो नमाज़ बाक़ी गुनाहों से भी बचा ले जायेगी और दीगर नेकियों की तरफ़ भी मुतवज्जो करेगी और क़ब्र में भी साथ देगी और रोज़-ए-महशर में भी..
इसलिए मेरे भाइयों नमाज़ क़ायम करो ताकि जब हम अपने रब के पास हाज़िर हों तो मुँह दिखाने लायक़ तो हों...
अल्लाह हम सबको नमाज़ पढ़ने और दीगर नेक आमाल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये...

नोट:-
इस मैसेज को बे-नमाज़ियों को तो सेंड करो ही साथ ही नमाज़ियों को भी सेंड करो ताकि उनकी फ्रेंड लिस्ट में जो बे-नमाज़ी हों उन तक भी यह मैसेज पहुँच जाये

Friday, July 15, 2016

🌺👉🏾 दावत-ए-फिक्र👈🏾🌺
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
👉🏿बेटी का रिश्ता नेक, स़ालेह मगर ग़रीब लडके के लिये मांगा गया तो इन्कार कर दीया.
👉🏿उसी बेटी का रिश्ता इक अमीर लेकिन बीगडे हुवे लडके के लिये मांगा गया तो यह केह कर हाँ कर दी के, "अल्लाह हिदायत देने वाला हैं."
➡क्या जो अल्लाह हिदायत दे सकता है वोह माल नहिं दे सकता..?
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔

Wednesday, July 13, 2016

एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-5 : अच्छे जूते के अंदर कंकड़

👠👟👞👢 अच्छे जूते के अंदर  कंकड़ 💎

♻ एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-5♻

मार्टिन लूथर ने कहा था..."


🏃🏻अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो !

🚶🏿अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो, चलो !

अगर तुम चल नहीं सकते तो, रेंगो !पर आगे बढ़ते रहो !"


अपनी सोच ओर दिशा बदलो

 सफलता आपका स्वागत करेंगी.......

रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी

एक


 अच्छा जूता पहनकरउस पर चला जा सकता है..


लेकिन यदि एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो

तो एक अच्छी सड़क पर भीकुछ कदम भी चलना मुश्किल है


।।यानी -"बाहर की चुनोतियों से नहीं हम अपनी अंदर की कमजोरियोंसे हारते है

 🔜🔙

               ✳ -05- ✳
📳Monday -FEB 29 -2016📳
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नौकरी नहीं, तुम मेरे बिज़नस पार्टनर बन जाओ : Job: Business Partner

एक बहुत अमीर आदमी ने रोड के किनारे एक भीखारी से पूछा.. ड"तुम भीख क्यूँ मांग रहे हो जबकि तुम तन्दुरुस्त हो..."

भीखारी ने जवाब दिया... "मेरे पास महीनों से कोई काम नहीं है...
अगर आप मुझे कोई नौकरी दें तो मैं अभी  से भीख मांगना छोड़ दूँ"

अमीर मुस्कुराया और कहा.. "मैं तुम्हें कोई नौकरी तो नहीं दे सकता ..
लेकिन मेरे पास इससे भी अच्छा कुछ है...
क्यूँ नहीं तुम मेरे बिज़नस पार्टनर बन जाओ..."

भीखारी को यकीन नहीं हुआ जो उसने सूना था...
"ये आप क्या कह रहे हैं क्या ऐसा मुमकीन है...?"

"हाँ मेरे पास एक चावल का प्लांट है.. तुम चावल बाज़ार में सप्लाई करो और जो भी मुनाफ़ा होगा उसे हम महीने के अंत में आपस में बाँट लेंगे.."

भीखारी के आँख से ख़ुशी के आंसू निकल पड़ें... " आप मेरे लिए जन्नत के फ़रिश्ते बन कर आये हैं मैं किस कदर आपका शुक्रिया अदा करूँ.."

फिर अचानक वो चुप हुआ और कहा.. "हम मुनाफे को कैसे बांटेंगे..?
क्या मैं 20% और आप 80% लेंगे ..या मैं 10% और आप 90% लेंगे..
जो भी हो ...मैं तैयार हूँ और बहुत खुश हूँ..."

अमीर आदमी ने बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ रखा ..
"मुझे पैसे की कोई जरूरत नहीं मेरे दोस्त ..मैं पहले से ही काफी अमीर हूँ ..मुझे मुनाफे का केवल 2.5% चाहिए ..ताकि तुम तरक्की कर सको.."

भीखारी अपने घुटने के बल  गिर पड़ा.. और रोते हुए बोला...
"आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करूंगा... मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ ...।

और अगले दिन से भीखारी ने काम शुरू कर दिया ..उम्दा चावल और
बाज़ार से सस्ते... और दिन रात की मेहनत..बहुत जल्द ही उसकी बिक्री
काफी बढ़ गई... रोज ब रोज तरक्की होने लगी....

और फिर वो दिन भी आया जब मुनाफा बांटना था.

और वो 2.5% भी बहुत ज्यादा था... जितना उस भीखारी ने कभी सोचा भी नहीं था... अचानक एक शैतानी ख्याल उसके दिमाग में आया...

"दिन रात मेहनत मैंने की है...उस अमीर आदमी ने कोई भी काम नहीं किया.. सिवाय मुझे अवसर देने की..मैं उसे ये 2.5% क्यूँ दूँ ...वो इसका
हकदार बिलकुल भी नहीं है..।

और फिर वो अमीर आदमी अपने नियत समय पर मुनाफे में
अपना हिस्सा 2.5% वसूलने आया और भीखारी ने जवाब दिया
" अभी कुछ हिसाब बाकि है, मुझे यहाँ नुक्सान हुवा है, लोगोसे कर्ज की अदायगी बाक़ी है, ऐसे शकले बनाकर उस आमिर आदमी का हिस्सा देने को टालने लगा."

आमिर आदमी ने कहा के "मुझे पता है तुम्हे कितना मुनाफा हुवा है फिर कयु तुम मेरा हिस्सा देनेसे टाल रहे हो ?"

उस भिकारी ने तुरंत जवाब दिया "तुम इस मुनाफे के हकदार नहीं हो ..क्योंकि सारी मेहनत मैंने की है..."

अब सोचिये...
अगर आप वो अमीर होते और भीखारी से ऐसी जवाब सुनते ..
तो ...आप पर क्या करते ?

ठीक इसी तरह.........

अल्लाह ने हमें जिंदगी दिया..हाथ- पैर..आँख-कान.. दिमाग दिया..
सोचने समझने की कुवत दी...बोलने को जुबान दिए...जज्बात दिए..."

याद रखिये ....2.5% जकात ... अल्लाह का हक है....
इसे राज़ी ख़ुशी अदा कीजिये..और अपनी मुहब्बत का इज़हार कीजिये..
और शुक्रिया अदा कीजिये उस जात को..जिसने आपको जिंदगी दी।।।।।।

Sunday, July 3, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-24

🌙ईद की खुशियाॅ आप के पहल की मुन्तजि़र हैं 
 🚛‘‘ईद किट’’ EID KIT
============
ईद किट डिस्ट्रीब्यूशन का काम लगातार चल रहा है अलहम्दोलिल्लाह नये नये अहले-खैर लगातार हमसे जुड़ रहे हैं, अभी बहुत से ऐसे घर हैं जहाॅ ईद की खुशियाॅ आप के पहल की मुन्तजि़र हैं .. .. तुरन्त राब्ता करें 9838587399 Kamar Ahmad (Sahara), 9452019493 Dr Seraj, 9919272580 Abdul Mabood Advocate, 9044243331 Barkat
हमसे लोगों की तस्वीर की उम्मीद न करें
मानवअधिकार हेल्पलाईन लोगों के मदद के लिये है... नाम पता तस्वीर फैला कर लोगों को ज़लील करने के लिये नही
Join "Manav-Adhikar Helpline"
🍵🍕🍪🍩🎂🍮🧀🍎🌮🍲

🙈DEEN aur AAKHIRAT-24
🙉 Sunday July 03 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Twenty Four 🙉🙊

रमज़ान का रोज़ा और इबादत कुबूल हुयी की नहीं
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
ज्यादा से ज़्यादा इस्तिगफार (क्षमायाचना) करें
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🇸🇦क्योकि इस्तिगफार (क्षमायाचना) अल्लाह के रसूल हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का मामूल था ।
🇸🇦खलीफा ए राशिद उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ (रह) इस्लामी राज्य के हर नगर व मस्जिद में खत लिखकर लोगों को हुक्म दिया कि रमजान के आखिर में सदका व इस्तिगफार करें उन्हेाने कहा
🇸🇦तुम ऐसा ही कहो जैसा तुम्हारे बाप आदम अलैहिस्सलाम ने कहाः

﴿ رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ ﴾ [الأعراف:23]  
“ऐ हमारे पालनहार! हमने अपने ऊपर जु़ल्म किया है,और यदि तू ने हमें माफ न किया और हम पर रहम न किया तो हम घाटा उठाने वालों में से हो जायेंगे।”  (सूरतुल आराफ: 23)
🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि नूह अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ وَإِلاَّ تَغْفِرْ لِي وَتَرْحَمْنِي أَكُن مِّنَ الْخَاسِرِينَ ﴾ [هود:47]
“और अगर तू ने मुझे माफ न किया और मेरे ऊपर रहम न किया, तो मैं घाटा पाने वालों में से हो जाऊँगा।”  (सूरत हूद: 47)
🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ وَالَّذِي أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ ﴾ [الشعراء:82]  
“और जिससे मुझे उम्मीद है कि वह बदला (यानी आखिरत/ परलोक) के दिन मेरे गुनाहों को माफ कर देगा।” (सूरतुश्शुअरा: 82)

 🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ رَبِّ إِنِّي ظَلَمْتُ نَفْسِي فَاغْفِرْ لِي ﴾ [القصص:16]  
“मेरे पालनहार, मैं ने अपने ऊपर जु़ल्म किया है, तो तू मुझे माफ कर दे।”  (सूरतुल क़सस: 16)

 🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि ज़ुन्नून (यानी यूनुस) अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ لَّا إِلَهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ ﴾ [الأنبياء:87]
“तेरे सिवाय कोई हकीकी इलाह नहीं (वास्तविक पूज्य नहीं), तू पाक( पवित्र) है, बेशक मैं ही ज़ालिमों (अत्याचारियों ) में से हूँ।” (सूरतुल अंबिया: 87)
🇸🇦हसन बसरी रहिमहुल्लाह कहते हैं: “ ज्यादा से ज्याद इस्तिगफार करो, क्योंकि तुम्हें पता नहीं कि रहम और कुबूलियत कब नाज़िल होगी ै।”
🇸🇦तथा लुक़मान अपने बेटे को वसीयत करते हुए कहते हैं : “ऐ मेरे बेटे, तू अपनी ज़ुबान को इस्तिगफार का आदी बना ले,क्योंकि अल्लाह तआला के लिए कुछ ऐसी घड़ियाँ हैं जिनके अंदर वह किसी सवाली (मांगनेवाले) को नहीं ठुकराता।”
इसलिये रमज़ान के इन आखरी लम्हात में भी और रमज़ान के बाद भी इस्तिगफार करना चाहिए।

🍃या अल्लाह हमारी छोटी छोटी कोशिशों को अपनी मोकद्दस बारगाह में कुबूल फरमा
🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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