Wednesday, July 27, 2016

एक अपील An Appeal

🍀🌱🍀 एक अपील An Appeal
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🐄कुर्बानी किस लिये होती है ? कुर्बानी क्यों करते हैं ?
🐄अल्लाह रब्बुआलेमीन अपने बन्दों से जान माल की कुर्बानी क्यों लेना चाहता है ? इस पर तो आपने उलेमाये हक से बहुत सी बातें सुनी होंगी। इसलिये हम इस पर कोई गुफतगु नहीं करेगे ...बस एक छोटी सी अपील करेंगे कि....
➡आपके पास कुर्बानी का जो जायद गोश्त हो उसे गरीबों में तकसीम करने का नज़्म बनायें
➡गाॅव देहात मोहल्ले और दूर दराज़  में जो लोग कुर्बानी नहीं करवा पाते उन तक भी कुर्बानी का गोश्त पहुॅच जाये। खाने के लालच में गोश्त को फिरीज़ में रख कर 🐄कुर्बानी को ज़ाया और कुर्बानी के जज़्बे को बरबाद न करें।
🐄खाल और गोश्त केा मजदूरी में कसाई को  न दें
❌खाल ऐसे मदरसों को न दें जिन मदरसों के मौलाना मुदर्रिस सरकारी तन्ख्वाह पाते हैं
❌खाल ऐसे मदरसों को  न दें जिन मदरसों के बच्चे सरकारी वजीफा पाते हैं
💯✔खाल ऐसे मदरसों को ही दें जो अपने यहाॅ कुरान हिफ्ज करवाते हों
💯✔खाल ऐसे मदरसों को हीे दें जो अपने यहाॅ कुरान हिफ्ज के साथ साथ आलीमाना कोर्स चलाते हों
❌खाल मदरसों को देकर मदरसों से कमीशन वसूलने वालों को कत्तई न दें...कमीशन 25 से 45 प्रतिशत तक है।
❤कुर्बानी कुर्बानी होती है कुर्बानी को कबाब बिर्यानी के टेस्ट से न आॅके
🐄अल्लाह तक न कुर्बानी गोश्त पहुॅचता है न खून ...
❤पहुॅचता है तो बस जज्बा  ...जज्बा खलिस हो या दिखावा...
🍀दुनिया के सारे मजहबों धर्मो केा अगर गौर से देखा जाये तेा सभी में कुछ परम्परायें त्योहार व रीति-रिवाज और कर्मकाण्ड है जिनको करके लोग धार्मिक और मजहबी बन जाते हैं
🍀उन त्योहारों के मकसद पर अगर आप गौर करें तो आप को कोई मकसद नजर नहीं आयेगा
🍀न हीे उसमें लिल्लाहियत होगी न हीं ईश्वर होगा बस आडम्बर, शोर शराबा पल्यूशन और ऐसा माहेाल की हर शरीफ इंसान को दहशत सी हो जाये।
🌴त्योहारों के मामले में अगर आप इस्लाम को देखेंगे और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहेा अलैहि वसल्लम के जरिये मुसलमानों में रायज किये गये त्योहारों के देखेंगे
🌴और गौर करेंगे तो आपको बस जज़्बये तौहीद ..लिल्लाहियत... अल्लाह के लिये जीना...अल्लाह के लिये मरना....अल्लाह के लिये दोस्ती ...अल्लाह के लिये दुश्मनी....
🌴और अल्लाह की रज़ा के लिये जान-माल की कुर्बानी ही  नजर आयेगी ... न शोर शराबा न दिखावा बस सादगी और लिल्लाहियत ै...
 🌴इसी लिये इस दीन केा मानने वाला और कुरान समझने वाला बेसाख्ता कह उठता है ‘‘बेशक मेरी नमाजें मेरी इबादतें मेरा जीना मेरा मरना सब कुछ अल्लाह रब्बुल आलेमीन के लिये है’’
🌴और अल्लाह के आखरी रसूल पर ईमान लाने वाला अपने दिल व दिमाग से कभी निकलने नहीे देता कि, ‘‘हम सब अल्लाह हीे के है और हमें उसी के पास लौट कर जाना है’’।
😪एक मोमिन मुस्लिम जब अल्लाह के आखरी रसूल की जिन्दगी की तरफ रूख करता है तो उसके आॅखों मेे आॅसू आ जाते है और उसके दिल से बेसाख्ता ये आवाज निकलती है..
🌴‘‘ मै अपना रूख उस ज़ात की तरफ करता हॅू, जिसने जमीन और आसमान की तखलीक फरमाई और ये कि, मैं पूरे ईमान के साथ दीने इब्राहीम पर कायम हॅू और मैं शिर्क करनें वालों में से नहीं हूॅ
🌴और बिला शुबा मेंरी नमाज और मेंरी तमाम इबादतें और मेरा जीना व मरना सब अल्लाह रब्बुल आलेमीन के लिये है, जिसका कोई शरीक नहीं,
🌴और मुझे इस (कुर्बानी) का हुक्म दिया गया है और मैं हुक्म की इताअत करनें वालों में से हॅू...
🌴ऐ अल्लाह ये कुर्बानी तेरी ही अता से है और ये कुर्बानी तेरी हीे रजा के लिये है Name of personअल्लाह के नाम के साथ और अल्लाह सबसे बड़ा है ’’

❤नोट-जहाॅ Name of Person हैं वहाॅ पर कुर्बानी देने वाला अपना नाम पढ़ता हे

👊👊zainul.abdin.initiative👊👊
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