Wednesday, April 20, 2016

अल्पसंख्यकों का प्रवेश वर्जित है? ************************** p-1 भारतीय खुफिया संस्थाएं 11 Aug 2015 ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^

अल्पसंख्यकों का प्रवेश वर्जित है?
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p-1 भारतीय खुफिया संस्थाएं 11 Aug 2015
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📖यूपीए-2 के तीसरे साल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एसपीजी, रॉ और आईबी के कुछ भूतपूर्व और तत्कालीन अधिकारियों की एक बैठक बुलाई.
📖बैठक में मनमोहन सिंह के साथ सोनिया गांधी भी मौजूद थीं.
📖उस मीटिंग में मनमोहन सिंह ने अधिकारियों से कुछ सवालों पर उनकी राय जाननी चाही-
📖क्या इंटेलीजेंस एजेंसियों में मुस्लिम समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के संबंध में कोई फैसला लिया जा सकता है?
📖क्या रॉ में मुस्लिमों को शामिल करने के बारे में सोचा जा सकता है.
📖क्या एसपीजी में सिखों और मुसलमानों पर लगे बैन को हटाने पर विचार किया जा सकता है?
📖मनमोहन सिंह के इन प्रश्नों पर राय जाहिर करते हुए अधिकारियों ने कहा कि
📖ऐसा हो तो सकता है लेकिन इसमें खतरा बहुत बड़ा है.
📖सालों से चले आ रहे सिस्टम को बदलने से अगर कुछ गड़बड़ हुई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
📖अंततः पीएम ने और सोचने की बात कहकर मीटिंग समाप्त कर दी.
📖फिर कभी इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई.
📖मनमोहन सिंह जिस मुद्दे पर इन अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे
📖वह भारत की इंटेलीजेंस और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़ी ऐसी कड़वी हकीकत है जिसके बारे में कभी कोई खुलकर चर्चा नहीं करता.
📖हकीकत यह कि भारत की आजादी के इतने सालों बाद भी देश की इंटेलीजेंस एजेंसियों में मुसलमानों के लिए नो-एंट्री का बोर्ड लगा हुआ है
📖और एसपीजी(स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) और एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) में सिखों और मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है.
📖रॉ के एक पूर्व अधिकारी कहते हैं, ‘ये कोई आज की बात नहीं है.
📖1969 में अपने गठन से लेकर आज तक रॉ ने किसी मुस्लिम अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है.
📖हालांकि उसके अपने कारण हैं.’ एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इसकी चर्चा करते हुए कहते हैं,
📖‘शुरू-शुरू में एक अनरिटन कोड था कि इंटेलिजेंस एजेंसियों में खासकर सेंसिटिव जगहों पर मुस्लिमों को नियुक्त नहीं किया जाता था.
📖यही अलिखित नियम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के लिए भी बन गया.’

#Wh.Ap.InMo

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