Thursday, June 30, 2016

आज़ादी से पहले: Before Independence

आज हम आपको आज़ादी से पहले की भारत की एक ऐसी pharma company के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे एक मुसलमान ने बनाया था।
आप सोच रहे होंगे ऐसी कौन सी company है जो आज़ादी से पहले से भारत में अपनी सेवाएं दे रही है।
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सन् 1935 में जन्मा सिप्ला देश का पहला फार्मास्युटिकल ब्रांड है। आठ दशक पहले स्व. डॉ. ख्वाजा अब्दुल हमीद ने जब सिप्ला की स्थापना की थी, तब भारतीय उद्योगपति शोध-अनुसंधान के बारे में सोचते भी नहीं थे।
इस सब की शुरूआत हुई 31st अक्टूबर 1898 जब Dr. ख्वाजा अब्दुल हमीद का जन्म अलीगढ में हुआ। इन्होंने MAO Collegiate School (Minto Circle) में 1908 में दाखिला लिया । अपनी शिक्षा पूरी कर इन्होंने एक दवा बनाने वाली कंपनी की शुरूवात की 1935 में जिसे नाम दिया गया “Chemical Industrial and Pharmaceutical Laboratory with the Acronym – CIPLA” वह भी शुरूआती २ लाख की रक़म के साथ।
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#Cipla ने द्वितीय विश्व युद्ध में अच्छी और बड़ी विदेशी MNC कम्पनियों को टक्कर देते हुए इन कम्पनियों की दवाओं से बेहतर और सस्ती दवाए बना कर उपल्बध करवाई। इसी के साथ CIPLA ने उस समय दो बहुत महत्वपूर्ण खोज पूर्ण की जिसमें पहली थी :-
“Nicatinic Acid Dieththylamide जिसका जैविक नाम Coramine है के संश्लेषण का विकल्प ढूंढ निकाला जिसका प्रयोग cardio-respiratory stimulant (हृदय सांस उत्तेजक) के तौर पर किया जाता है।
और दूसरी उपलब्धी थी व्यापारीकरण serpenid का जो rauwolfia serpentine नमक वनस्पति का मूल तत्व है। यह एलोपैथी इलाज में पहला हर्बल उपाय था जिसको उच्च रक्तचाप के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
यह एक शानदार खोज रही और इस खोज ने CIPLA को विश्व pharmaceutical समाज में प्रसिद्ध कर दिया। 1944 के बाद company ने कभी पीछे मूड कर नहीं देखा।
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डॉ ख्वाजा अब्दुल हमीद के बड़े बेटे युसूफ हमीद जो Organic chemistry में PhD हैं ने 1960 में company का दारोमदार संभाला। युसूफ हमीद ने research & development डिपार्टमेंट में अफसर इन चार्ज के तौर पर कंपनी ज्वाइन की। युसूफ हमीद ने अपना ज़्यादातर समय AIDS ,क्षय रोग और श्वास रोग की दवा बनाने में लगाया लगाया है।
इन्हे अपनी ही कंपनी में काम करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। कंपनी join करने से पहले उन्हे सरकार से इसकी इजाज़त लेनी पड़ी यह “British -Raj ” के समय की बात है।
उन्हे शुरूवाती समय में 1500 रुपए पर काम शुरू किया उनको पहली सैलरी एक साल के बाद मिली थी।
उन्होंने भारतीय पेटेंट कानून में बदलाव करने की शुरूआत की और इसके अंतर्गत उन्होंने 1961 में Indian Drug Manufactures Association का गठन किया और 1972 में यह प्रयास सफल हुआ और भारतीय pharma उद्योग को कानूनन आज़ादी मिल गई वह दवा बनाने और बेचने की जिनकी देश में आवश्यकत हो।
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युसूफ हमीद की अगवाई में ही CIPLA को आज “Humanitarion Pharmaceutical Company ” के नाम से भी जाना जाने लगा क्योंकि वे सदा कहते हैं के उन्हे “(उन रोगों से पैसे नहीं बनाने जिन से दुनिया उखड़ जाती है) does not want to make money from diseases that crumble the world “.
आज CIPLA भारत की Multinational Pharmaceutical एंड Biotechnology Company है और दुनिया के करीब 170 देशों में अपनी दवा बेचने के लिए तत्पर हैं।
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1, आज CIPLA, US और Europe के बाहर पहली कंपनी है जिसने CFC – free inhalers शुरू किए।
2, एक ऐसे तकनीक का प्रारंभ किया जिसमें बिना हाथ लगाए , बिना दर्द के ,बिना किसी हानिकारक किरणों के इस्तेमाल से भी वक्ष की जांच हो सकती है जिससे वक्ष के कैंसर का पता लगाया जा सकता है इसे No Touch Breast Scan (NTBC) कहते हैं।
3, 2009 में CIPLA ने anti -flu drugs (Oseltamivir और Zanamivir ) का generic version बनाया H1N1 influenza के इलाज के लिए भारतीय बाजार के लिए।
आज CIPLA का नाम देश और दुनिया में छा गया है। आज़ादी के पहले से आज आज़ादी के बाद तक भी CIPLA देश को बीमारियों से आज़ाद करने की अपनी मुहीम को जी जान से मुकम्मल करने में लगा है। हम गर्व महसूस करते हैं आज Dr. Khwaja Abdul Hamied और Yusuf Hamied जैसे भारतीयों पर और CIPLA जैसी organization पर नाज़ करते हैं ।

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