Monday, December 19, 2016

🕶नकारात्मक विचार :Negative Thoughts

🕶नकारात्मक विचार 

♻ एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-13♻ 

🛥"पूरे समुंद्र का पानी भी एक जहाज को नहीं डुबा सकता, 
      जब तक पानी को जहाज अन्दर न आने दे

⛵इसी तरह दुनिया का कोई भी नकारात्मक विचार आपको नीचे नहीं गिरा सकता, 

⛵जब तक आप उसे अपने
     अंदर आने की अनुमति न दें।"

🛩"अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,,

🚊सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तों का...

🚥ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे लोग ज्यादा है।

🌋बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ .....

 🔜🔙 
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Friday, September 2, 2016

😇 सिर्फ जरा से गौर कर लें 😨

♻ एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-12♻

🤗घ्यान से सोचें🤗

"ये दुनिया किस तरह की होती , अगर इसमें सब लोग मेरी तरह ही व्यहवार करते"

🤗घ्यान से सोचें🤗

 🔜🔙
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Wednesday, August 24, 2016

🍼दूध में कभी-ना बिगड़ने वाला घी छिपा है🍚

♻ एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-11♻

दूध उपयोगी है, किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो खराब हो जाता है।

दूध में एक बूंद छाछ डालने से वह दही बन जाता है,

जो केवल एक और दिन टिकता है।

दही का मंथन करने पर मक्खन बन जाती है।

यह एक और दिन टिकता है।

मक्खन को उबालकर घी बनता है,

घी कभी खराब नहीं होता।

एक ही दिन में बिगडने वाले दूध में कभी-ना बिगड़ने वाला घी छिपा है।

इसी तरह आपका मन भी अथाह शक्तियों से भरा है,

उसमे कुछ सकारात्मक विचार डालो अपने आपको मथो अर्थात चिंतन करो,

अपने जीवन को और तपाओ, *

आप कभी न ख़राब होने वाले व्यक्ति बन जाओगे।*

 🔜🔙
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Sunday, August 21, 2016

🚶🏿Akelaapan*
🤗v/s
*Aikaant*

♻ एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-10♻

Here goes a humble translation

Loneliness v/s Solitude

*'अकेलापन'* इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है.!
                 और *'एकांत'*
   इस संसार में सबसे बड़ा वरदान.!!

Loneliness is the biggest punishment in this world!
And Solitude is the biggest gift/blessing!!


       ये दो समानार्थी दिखने वाले
               शब्दों के अर्थ में
    . आकाश पाताल का अंतर है।

These two words appear so similar, yet cannot be more apart, like heaven and hell!

        *अकेलेपन* में छटपटाहट है
          तो *एकांत* में आराम है।

Loneliness is suffering, and Solitude is relaxing!

         *अकेलेपन* में घबराहट है
             तो *एकांत* में शांति।

Loneliness is fear and solitude is Shanti/peace!

           जब तक हमारी नज़र
      बाहरकी ओर है तब तक हम.
       *अकेलापन* महसूस करते हैं

Till we look for solace in the outer world we will experience Loneliness!

                       और
   जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी
   तो *एकांत* अनुभव होने लगता है।

But when you look for it within you, you start experiencing solitude!

          ये जीवन और कुछ नहीं
                     वस्तुतः
      *अकेलेपन* से *एकांत* की ओर
              एक यात्रा ही है.!!

This life is nothing but a journey from loneliness to solitude!

              ऐसी *यात्रा* जिसमें
    *रास्ता* भी हम हैं, *राही* भी हम हैं
       और *मंज़िल* भी हम ही हैं.!!

A journey, in which the path is us, the traveller is also us and so is the destination!!

Fully ctrl+c ctrl +v
 🔜🔙

               ✳ -10- ✳
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Wednesday, July 27, 2016

🐛अपने ककून से संघर्ष 🐛Struggle with Cocoon

🐛अपने ककून से संघर्ष 🐛

👉22👉तु मेरा नहीं बनता तो मत बन....अपना तो बन👈22👈

🐣एक राहगीर को सड़क किनारे किसी झाड़ पर एक तितली का अधखुला कोकून(यह एक खोल होता है जिसमें से तितली का जन्म होता  है )  दिखा ।
🐣वहां बैठकर कुछ घंटे उस  तितली को देखता रहा जो छोटे से छिद्र से बहार निकलने के लिए जी-तोड़ कोशिश किये जा रही थी. पर उससे बाहर निकलते नहीं बन रहा था। ऐसा लग रहा था कि तितली का उससे बाहर निकलना सम्भव नहीं है।
🐣उस आदमी ने सोचा कि तितली की मदद की जाए। उसने कहीं से एक कतरनी लाया  और तितली के निकलने के छेद को थोड़ा सा बड़ा कर दिया।
🐣अब  तितली उसमें से आराम से निकल सकती थी । लेकिन वह बेहद कमज़ोर लग रही थी और उसके पंख भी नहीं खुल रहे थे।
🐣आदमी बैठा-बैठा तितली के पंख खोलकर फडफडाने का इंतजार करता रहा।
🐣लेकिन ऐसा नहीं हुआ।तितली ककून में ही फड़-फड़ाती रही पर तितली कभी नहीं उड़ पाई, और एक दिन मर गयी .
🐣उस व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हुआ ?
🐣उस आदमी ने मदद किया काम आसान की,फिर क्यों नहीं उड़  पायी ?
🐣दरअसल उस राहगीर को यह नहीं मालुम था की तितली का यही संघर्ष उसे जिंदगी में उड़न भरने का मौका देता है. उससे  बाहर आने की प्रक्रिया में ही उस तितली के तंतु जैसे पंखों में पोषक द्रव्यों का संचार होता है ,
🐣 यह प्रकृति की व्यवस्था थी कि तितली  अथक प्रयास करने के बाद ही ककून  से  पुख्ता  होकर बाहर निकलती है .
🐣इसी तरह हमें भी अपने जीवन में संघर्ष करने की ज़रूरत होती है।
🐣यदि प्रकृति और जीवन हमारी राह में किसी तरह की बाधाएं न आने दें तो हम सामर्थ्यवान कभी न बन सकेंगे।
🐣जीवन में यदि शक्तिशाली और सहनशील बनना हो तो कष्ट तो उठाने ही पड़ेंगे।

👊गौरतलब: जिंदगी में ऊँची उडान भरने  के लिए अपने ककून (कठिन परिस्थिति) से संघर्ष  जरुरी है ,
👊संघर्ष जितना लम्बा और कठिन होगा  आपकी उपलब्धि उतनी बड़ी और  पुख्ता होगी.

😢अल्लाह (ईश्वर) हम सब पर रहम करे ...और हम सब को कठिन परस्थितियों से जल्द से जल्द निजात दें
😪क्योंकि बोलना और कहानी सुनाना तो बहुत आसान है लेकिन हालात से गुज़रना बहुत तकलीफ दे होता है ...होता है की नहीं ??

 ♻All the best !♻

🔜बाकी बातें बहुत जल्द...🔜🔙

🌟🌟🌟part -- 22 OCT 14 -2015🌟🌟🌟
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"मौत जीवन का एकमात्र सर्वोत्तम अविष्कार है"

👺👽💀
😎"मौत जीवन का एकमात्र सर्वोत्तम अविष्कार है"-2😎
👉21👉तु मेरा नहीं बनता तो मत बन....अपना तो बन👈21👈
🚉20 सितम्बर को बात हुयी थी की "मौत जीवन का एकमात्र सर्वोत्तम अविष्कार है" आज बात को कुछ और आगे बढ़ाते हैं
🚉एक दिन अगर हमें जाना है, तो जीवन को उसी हिसाब से जीना होगा.
 🚉एक-एक दिन का उपयोग करते हुए पूरी विनम्रता के साथ आगे बढ़ना होगा.
🚉हम ना हमारा जाना रोक सकते हैं, ना अपने प्रियजनों का.
🚉इसलिए एक-एक पल को उपहार समझ कर जीना हमारा मकसद होना चाहिए.
🚉हम सब यहां अपनी जिम्मेदारियां निभाने आए हैं,
🚉सफलता हासिल करने आए हैं.
🚉जितने दिन इस दुनिया में हैं, कुछ अच्छा कर जाएं.
 🚉इस धरती पर जितने भी कामयाब लोग हैं,
🚉उनकी सफलता की कहानी इसी विचार ने लिखी है कि
🚉वे यही मानते थे कि आज का दिन अंतिम है
🚉और यह जीवन यात्रा एक चुनौती है.
🚉इस यात्रा के लिए ही कहा गया है,
🚉"कर्म किए जा, फल की चिंता मत कर.
🚉यह यात्रा ही हमारा पुरस्कार है.
 ♻All the best !♻

🔜बाकी बातें बहुत जल्द...🔜🔙

🌟🌟🌟part -21- OCT 4 -2015🌟🌟🌟
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एक अपील An Appeal

🍀🌱🍀 एक अपील An Appeal
🍀🌱🍀
🐄कुर्बानी किस लिये होती है ? कुर्बानी क्यों करते हैं ?
🐄अल्लाह रब्बुआलेमीन अपने बन्दों से जान माल की कुर्बानी क्यों लेना चाहता है ? इस पर तो आपने उलेमाये हक से बहुत सी बातें सुनी होंगी। इसलिये हम इस पर कोई गुफतगु नहीं करेगे ...बस एक छोटी सी अपील करेंगे कि....
➡आपके पास कुर्बानी का जो जायद गोश्त हो उसे गरीबों में तकसीम करने का नज़्म बनायें
➡गाॅव देहात मोहल्ले और दूर दराज़  में जो लोग कुर्बानी नहीं करवा पाते उन तक भी कुर्बानी का गोश्त पहुॅच जाये। खाने के लालच में गोश्त को फिरीज़ में रख कर 🐄कुर्बानी को ज़ाया और कुर्बानी के जज़्बे को बरबाद न करें।
🐄खाल और गोश्त केा मजदूरी में कसाई को  न दें
❌खाल ऐसे मदरसों को न दें जिन मदरसों के मौलाना मुदर्रिस सरकारी तन्ख्वाह पाते हैं
❌खाल ऐसे मदरसों को  न दें जिन मदरसों के बच्चे सरकारी वजीफा पाते हैं
💯✔खाल ऐसे मदरसों को ही दें जो अपने यहाॅ कुरान हिफ्ज करवाते हों
💯✔खाल ऐसे मदरसों को हीे दें जो अपने यहाॅ कुरान हिफ्ज के साथ साथ आलीमाना कोर्स चलाते हों
❌खाल मदरसों को देकर मदरसों से कमीशन वसूलने वालों को कत्तई न दें...कमीशन 25 से 45 प्रतिशत तक है।
❤कुर्बानी कुर्बानी होती है कुर्बानी को कबाब बिर्यानी के टेस्ट से न आॅके
🐄अल्लाह तक न कुर्बानी गोश्त पहुॅचता है न खून ...
❤पहुॅचता है तो बस जज्बा  ...जज्बा खलिस हो या दिखावा...
🍀दुनिया के सारे मजहबों धर्मो केा अगर गौर से देखा जाये तेा सभी में कुछ परम्परायें त्योहार व रीति-रिवाज और कर्मकाण्ड है जिनको करके लोग धार्मिक और मजहबी बन जाते हैं
🍀उन त्योहारों के मकसद पर अगर आप गौर करें तो आप को कोई मकसद नजर नहीं आयेगा
🍀न हीे उसमें लिल्लाहियत होगी न हीं ईश्वर होगा बस आडम्बर, शोर शराबा पल्यूशन और ऐसा माहेाल की हर शरीफ इंसान को दहशत सी हो जाये।
🌴त्योहारों के मामले में अगर आप इस्लाम को देखेंगे और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहेा अलैहि वसल्लम के जरिये मुसलमानों में रायज किये गये त्योहारों के देखेंगे
🌴और गौर करेंगे तो आपको बस जज़्बये तौहीद ..लिल्लाहियत... अल्लाह के लिये जीना...अल्लाह के लिये मरना....अल्लाह के लिये दोस्ती ...अल्लाह के लिये दुश्मनी....
🌴और अल्लाह की रज़ा के लिये जान-माल की कुर्बानी ही  नजर आयेगी ... न शोर शराबा न दिखावा बस सादगी और लिल्लाहियत ै...
 🌴इसी लिये इस दीन केा मानने वाला और कुरान समझने वाला बेसाख्ता कह उठता है ‘‘बेशक मेरी नमाजें मेरी इबादतें मेरा जीना मेरा मरना सब कुछ अल्लाह रब्बुल आलेमीन के लिये है’’
🌴और अल्लाह के आखरी रसूल पर ईमान लाने वाला अपने दिल व दिमाग से कभी निकलने नहीे देता कि, ‘‘हम सब अल्लाह हीे के है और हमें उसी के पास लौट कर जाना है’’।
😪एक मोमिन मुस्लिम जब अल्लाह के आखरी रसूल की जिन्दगी की तरफ रूख करता है तो उसके आॅखों मेे आॅसू आ जाते है और उसके दिल से बेसाख्ता ये आवाज निकलती है..
🌴‘‘ मै अपना रूख उस ज़ात की तरफ करता हॅू, जिसने जमीन और आसमान की तखलीक फरमाई और ये कि, मैं पूरे ईमान के साथ दीने इब्राहीम पर कायम हॅू और मैं शिर्क करनें वालों में से नहीं हूॅ
🌴और बिला शुबा मेंरी नमाज और मेंरी तमाम इबादतें और मेरा जीना व मरना सब अल्लाह रब्बुल आलेमीन के लिये है, जिसका कोई शरीक नहीं,
🌴और मुझे इस (कुर्बानी) का हुक्म दिया गया है और मैं हुक्म की इताअत करनें वालों में से हॅू...
🌴ऐ अल्लाह ये कुर्बानी तेरी ही अता से है और ये कुर्बानी तेरी हीे रजा के लिये है Name of personअल्लाह के नाम के साथ और अल्लाह सबसे बड़ा है ’’

❤नोट-जहाॅ Name of Person हैं वहाॅ पर कुर्बानी देने वाला अपना नाम पढ़ता हे

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DEEn aur AAKHIRAT-13

🙈DEEN aur AAKHIRAT-13
🙉 Monday June 20 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Thirteen🙉🙊
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❓रोज़ा क्या और क्यों? Fasting in Islam
☪इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड (Universe)और इंसान का, अल्लाह (ईश्वर) एक है। ईश्वर (अल्लाह) ने इंसान को बनाया और उसकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रबंध किया। इंसान को इस ग्रह पर जीवित रहने के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम दिया। इंसान को उसके मूल प्रश्नों का उत्तर भी बताया।

❓इंसान को क्या कोई बनाने वाला है?
❓अगर है, तो वह क्या चाहता है?
❓इंसान को पैदा क्यों किया गया?
❓इंसान के जीवन का उद्देश्य क्या है?
❓अगर है, तो उस उद्देश्य को पाने का तरीक़ा क्या है?
❓इंसान को आज़ाद पैदा किया गया या मजबूर?
❓अच्छी ज़िन्दगी कैसे गुज़ारी जा सकती है?
❓मरने के बाद क्या होगा? इत्यादि। यह इंसान के बुनियादी सवाल हैं, जिनका जानना उसके लिए बहुत ज़रुरी है।
📓क़ुरआन बताता है कि दुनिया इंसान के लिए एक परीक्षास्थल है। इंसान की ज़िन्दगी का उद्देश्य ईश्वर (अल्लाह) की इबादत (उपासना) है। (क़ुरआन, 51:56) इबादत का अर्थ ईश्वर (अल्लाह) केन्द्रित जीवन (God-centred life) व्यतीत करना है।
📓इबादत एक पार्ट-टाइम नहीं, बल्कि फुल टाइम अमल है, जो पैदाइश से लेकर मौत तक जारी रहता है।
📓वास्तव में इंसान की पूरी ज़िन्दगी इबादत है, अगर वह ईश्वर (अल्लाह) की मर्ज़ी के अनुसार व्यतीत हो। ईश्वर (अल्लाह) की मर्ज़ी के अनुसार जीवन व्यतीत करने का आदी बनाने के लिए, आवश्यक था कि कुछ प्रशिक्षण भी हो, इसलिए नमाज़, रोज़ा (निराहार उपवास), ज़कात और हज को इसी प्रशिक्षण के रूप में रखा गया।
📓इनमें समय की, एनर्जी की और दौलत की क़ुरबानी द्वारा इंसान को आध्यात्मिक उत्थान के लिए और उसे व्यावहारिक जीवन के लिए लाभदायक बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस ट्रेनिंग को बार-बार रखा गया, ताकि इंसान को अच्छाई पर स्थिर रखा जा सके, क्योंकि इंसान अन्दर व बाहर से बदलने वाला अस्तित्व रखता है।
📓ईश्वर (अल्लाह) सबसे बेहतर जानता है कि कौन-सी चीज़ इंसान के लिए लाभदायक है और कौन-सी हानिकारक। ईश्वर (अल्लाह) इंसान का भला चाहता है इसलिए उसने हर वह काम जिसके करने से इंसान स्वयं को हानि पहुँचाता, करना हराम (अवैध) ठहराया और हर उस काम को जिसके न करने से इंसान स्वयं को हानि पहुँचाता, इबादत कहा और उनका करना इंसान के लिए अनिवार्य कर दिया।
♨अल्लाह हम सब को मकसदे तखलीक समझने की तौफीक अता करे ...
♨और हम में इबादत, ज़िक्र व असतगफार की तैाफीक अता करे

🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
🌿रमजान के बारे में अगर आपके पास अच्छा और मुख्तसर मैटर हो तो हमें भेंजें
⚙जैनुल आब्दीन इनीशियेटिव
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बादशाह ग़ुलाम : King Slave

एक बादशाह का ग़ुलाम घोड़े पर सवार मग़रूर के आलम में चला आरहा था, सामने एक बुज़ुर्ग आ गए...। उन्होंने उस मग़रूर ग़ुलाम से कहा: ये अकड़ ख़ानी तो अच्छी नहीं...। ग़ुलाम ने और ज़्यादा अकड़ से कहा: मैं फ़ुलां बादशाह का ग़ुलाम हूँ, और वो बादशाह मुझ पर बहोत भरोसा करता है... जब वो सोता है तो मैं उसकी हिफ़ाज़त करता हूँ, जब उसे भूख लगती है तो मैं उसे खाना देता हूँ, कोई हुक्म देता है तो फ़ौरन बजा लाता हूँ...।

ये सारे अल्फ़ाज़ सुनकर बुज़ुर्ग ने पूछा और जब तुमसे कोई ग़लती हो जाती है तब? ग़ुलाम ने जवाब दिया: इस सूरत में मुझे कौड़े लगते हैं...। इस पर बुज़ुर्ग बोले: तब तुमसे ज़्यादा मुझे अकड़ना चाहिए...। ग़ुलाम ने हैरान होकर पूछा, वो कैसे...?

बुज़ुर्ग बोले मैं ऐसे बादशाह का ग़ुलाम हूँ कि जब मैं भूखा होता हूँ तो वो मुझे खिलाता है...। जब मैं बीमार होता हूँ वो मुझे शिफ़ा देता है...। जब मैं सोता हूँ तो वह हर तरह मेरी हिफ़ाज़त करता है...। जब मुझसे ग़लती हो जाए और मैं उससे माफ़ी मांग लूं तो बगैर कोई सज़ा दिये अपनी रहमत-ओ-मेहरबानी से मुझे बख़्श देता है...। ये सुनकर उस मग़रूर ग़ुलाम ने कहा तब तो मुझे भी उसका ग़ुलाम बना दें...। बुज़ुर्ग फ़ौरन बोले बस तो फिर अल्लाह का हो जा, ऐसा मालिक तुम्हें कहीं नहीं मिलेगा...।

मिट्टी का बर्तन::Pot of Clay

हज़रत बिलाल हब्शी रज़ियल्लाहु अन्हू को जब जलते हुए कोयलों पर लिटा कर कोड़े मारे जा रहे थे तब रास्ते से गुज़रते हुए किसी शख़्स ने उनसे कहा कि:
"बिलाल बड़ी अजीब कहानी है, तुम कोयलों पर लेटे हो, वह कोड़े मार रहा है और तुम मुस्कुरा रहे हो"
तो हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हू ने हंस कर फ़रमाया:
"जब तुम बाज़ार जाते हो और कोई मिट्टी का बर्तन भी ख़रीदते हो तो उसको भी ठोक-बजा के देखते हो कि इसकी आवाज़ तो ठीक है? कहीं कच्चा तो नहीं है..
बस मेरा मालिक(अल्लाह) बिलाल को ख़रीद रहा है, देख रहा है कहीं बिलाल कच्चा तो नहीं है.. मैं कहता हूँ ऐ मालिक ख़रीद ले बिलाल को, चमड़ी उधड़ भी जायेगी तब भी हक़-हक़ की आवाज़ ख़त्म नहीं होगी" (सुब्हान'अल्लाह)

इस शेर से कुछ मामला समझ आएगा

ज़ख्म पे ज़ख्म खा के जी..
ख़ून-ए-जिगर के घूँट पी..
आह न कर लबों को सी..
यह इश्क़ है दिल्लगी नहीं..

इसे पढ़ कर सुब्हान'अल्लाह कहना बहुत आसान है लेकिन इस रास्ते पर चलना बहुत मुश्किल है मेरे भाइयों...
जो लोग यह कहते हैं कि इस दौर में शरीअत पर चलना बहुत मुश्किल है वो लोग हज़रत बिलाल और बाक़ी सहाबा की क़ुर्बानियों को देखें और फैसला करें कि आज दीन पर चलना मुश्किल है या उस दौर में मुश्किल था, हम तो सारी सहूलतें मिलने के बाद भी मस्जिद जाने की तकलीफ़ नहीं उठा सकते तो जन्नत में जाने की उम्मीद कैसे लगा सकते हैं...
सहाबा इकराम को देखो कि वो कितनी मुश्किलों से गुज़रे हैं, उनके रास्ते में जंग-ए-बदर भी है, जंग-ए-ओहद भी है, जंग-ए-हुनैन भी है और जंग-ए-कर्बला भी है.. तब जा कर जन्नत मिली और हम सोचते हैं बस मुँह उठा कर चले जायेंगे जन्नत में..
आज हम इकठ्ठे हो कर किसी दीनी महफ़िल में नारा लगा कर समझते हैं कि हमने दीन का हक़ अदा कर दिया...?
नहीं मेरे भाइयों.. हमें समझने की ज़रूरत है कि दीन हमसे क्या मुतालबा कर रहा है...

नमाज़ जो कि अल्लाह को इबादतों में सबसे ज़्यादा पसंदीदा है इसको ही ले लो

हुज़ूर पाक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि:
"मेरी आँखों की ठंडक नमाज़ है"

सहाबा फ़रमाते हैं कि:
"हम मोमिन और काफ़िर के बीच फ़र्क़ ही नमाज़ से समझते थे, जो नमाज़ नहीं पढ़ता था हम समझते थे कि मोमिन नहीं है तभी नमाज़ नहीं पढ़ता, मोमिन होता तो ज़रूर पढ़ता"

इमाम-ए-आज़म का फ़तवा है कि:
"जो नमाज़ न पढ़े उसे क़ैद कर दो, अगर तौबा करता है और नमाज़ पढ़ना शुरू कर देता है तो छोड़ दो"

शेख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी(ग़ौस-ए-आज़म) रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं कि:
"बे-नमाज़ी को मुसलमानों के क़ब्रिस्तान में दफ़न न करो"

हज़रत सुल्तान-ए-बाहू फ़रमाते हैं कि:
"बे-नमाज़ी से खंज़ीर(सूअर) भी पनाह मांगता है"

हज़रत शेख़ सादी ने फ़रमाया कि:
बे-नमाज़ी को क़र्ज़ मत दो क्योंकि जो अल्लाह का क़र्ज़(नमाज़) अदा नहीं करता वह तुम्हारा क़र्ज़ क्या अदा करेगा"

रसूल पाक के चाहने वाले,
इमाम-ए-आज़म के मानने वाले,
ग़ौस-ए-आज़म की ग्यारहवीं की नियाज़ करने वाले ज़रा अपने दिलों में झांकें कि क्या वह अल्लाह और रसूल का हक़ अदा कर रहे हैं और नमाज़ तो ऐसी इबादत है कि अगर सच्चे दिल से इसे थाम लिया तो नमाज़ बाक़ी गुनाहों से भी बचा ले जायेगी और दीगर नेकियों की तरफ़ भी मुतवज्जो करेगी और क़ब्र में भी साथ देगी और रोज़-ए-महशर में भी..
इसलिए मेरे भाइयों नमाज़ क़ायम करो ताकि जब हम अपने रब के पास हाज़िर हों तो मुँह दिखाने लायक़ तो हों...
अल्लाह हम सबको नमाज़ पढ़ने और दीगर नेक आमाल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये...

नोट:-
इस मैसेज को बे-नमाज़ियों को तो सेंड करो ही साथ ही नमाज़ियों को भी सेंड करो ताकि उनकी फ्रेंड लिस्ट में जो बे-नमाज़ी हों उन तक भी यह मैसेज पहुँच जाये

Friday, July 15, 2016

🌺👉🏾 दावत-ए-फिक्र👈🏾🌺
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
👉🏿बेटी का रिश्ता नेक, स़ालेह मगर ग़रीब लडके के लिये मांगा गया तो इन्कार कर दीया.
👉🏿उसी बेटी का रिश्ता इक अमीर लेकिन बीगडे हुवे लडके के लिये मांगा गया तो यह केह कर हाँ कर दी के, "अल्लाह हिदायत देने वाला हैं."
➡क्या जो अल्लाह हिदायत दे सकता है वोह माल नहिं दे सकता..?
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔

Wednesday, July 13, 2016

एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-5 : अच्छे जूते के अंदर कंकड़

👠👟👞👢 अच्छे जूते के अंदर  कंकड़ 💎

♻ एक नजरिया New Angle :Prospective n Mindset-5♻

मार्टिन लूथर ने कहा था..."


🏃🏻अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो !

🚶🏿अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो, चलो !

अगर तुम चल नहीं सकते तो, रेंगो !पर आगे बढ़ते रहो !"


अपनी सोच ओर दिशा बदलो

 सफलता आपका स्वागत करेंगी.......

रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी

एक


 अच्छा जूता पहनकरउस पर चला जा सकता है..


लेकिन यदि एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो

तो एक अच्छी सड़क पर भीकुछ कदम भी चलना मुश्किल है


।।यानी -"बाहर की चुनोतियों से नहीं हम अपनी अंदर की कमजोरियोंसे हारते है

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नौकरी नहीं, तुम मेरे बिज़नस पार्टनर बन जाओ : Job: Business Partner

एक बहुत अमीर आदमी ने रोड के किनारे एक भीखारी से पूछा.. ड"तुम भीख क्यूँ मांग रहे हो जबकि तुम तन्दुरुस्त हो..."

भीखारी ने जवाब दिया... "मेरे पास महीनों से कोई काम नहीं है...
अगर आप मुझे कोई नौकरी दें तो मैं अभी  से भीख मांगना छोड़ दूँ"

अमीर मुस्कुराया और कहा.. "मैं तुम्हें कोई नौकरी तो नहीं दे सकता ..
लेकिन मेरे पास इससे भी अच्छा कुछ है...
क्यूँ नहीं तुम मेरे बिज़नस पार्टनर बन जाओ..."

भीखारी को यकीन नहीं हुआ जो उसने सूना था...
"ये आप क्या कह रहे हैं क्या ऐसा मुमकीन है...?"

"हाँ मेरे पास एक चावल का प्लांट है.. तुम चावल बाज़ार में सप्लाई करो और जो भी मुनाफ़ा होगा उसे हम महीने के अंत में आपस में बाँट लेंगे.."

भीखारी के आँख से ख़ुशी के आंसू निकल पड़ें... " आप मेरे लिए जन्नत के फ़रिश्ते बन कर आये हैं मैं किस कदर आपका शुक्रिया अदा करूँ.."

फिर अचानक वो चुप हुआ और कहा.. "हम मुनाफे को कैसे बांटेंगे..?
क्या मैं 20% और आप 80% लेंगे ..या मैं 10% और आप 90% लेंगे..
जो भी हो ...मैं तैयार हूँ और बहुत खुश हूँ..."

अमीर आदमी ने बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ रखा ..
"मुझे पैसे की कोई जरूरत नहीं मेरे दोस्त ..मैं पहले से ही काफी अमीर हूँ ..मुझे मुनाफे का केवल 2.5% चाहिए ..ताकि तुम तरक्की कर सको.."

भीखारी अपने घुटने के बल  गिर पड़ा.. और रोते हुए बोला...
"आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करूंगा... मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ ...।

और अगले दिन से भीखारी ने काम शुरू कर दिया ..उम्दा चावल और
बाज़ार से सस्ते... और दिन रात की मेहनत..बहुत जल्द ही उसकी बिक्री
काफी बढ़ गई... रोज ब रोज तरक्की होने लगी....

और फिर वो दिन भी आया जब मुनाफा बांटना था.

और वो 2.5% भी बहुत ज्यादा था... जितना उस भीखारी ने कभी सोचा भी नहीं था... अचानक एक शैतानी ख्याल उसके दिमाग में आया...

"दिन रात मेहनत मैंने की है...उस अमीर आदमी ने कोई भी काम नहीं किया.. सिवाय मुझे अवसर देने की..मैं उसे ये 2.5% क्यूँ दूँ ...वो इसका
हकदार बिलकुल भी नहीं है..।

और फिर वो अमीर आदमी अपने नियत समय पर मुनाफे में
अपना हिस्सा 2.5% वसूलने आया और भीखारी ने जवाब दिया
" अभी कुछ हिसाब बाकि है, मुझे यहाँ नुक्सान हुवा है, लोगोसे कर्ज की अदायगी बाक़ी है, ऐसे शकले बनाकर उस आमिर आदमी का हिस्सा देने को टालने लगा."

आमिर आदमी ने कहा के "मुझे पता है तुम्हे कितना मुनाफा हुवा है फिर कयु तुम मेरा हिस्सा देनेसे टाल रहे हो ?"

उस भिकारी ने तुरंत जवाब दिया "तुम इस मुनाफे के हकदार नहीं हो ..क्योंकि सारी मेहनत मैंने की है..."

अब सोचिये...
अगर आप वो अमीर होते और भीखारी से ऐसी जवाब सुनते ..
तो ...आप पर क्या करते ?

ठीक इसी तरह.........

अल्लाह ने हमें जिंदगी दिया..हाथ- पैर..आँख-कान.. दिमाग दिया..
सोचने समझने की कुवत दी...बोलने को जुबान दिए...जज्बात दिए..."

याद रखिये ....2.5% जकात ... अल्लाह का हक है....
इसे राज़ी ख़ुशी अदा कीजिये..और अपनी मुहब्बत का इज़हार कीजिये..
और शुक्रिया अदा कीजिये उस जात को..जिसने आपको जिंदगी दी।।।।।।

Sunday, July 3, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-24

🌙ईद की खुशियाॅ आप के पहल की मुन्तजि़र हैं 
 🚛‘‘ईद किट’’ EID KIT
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ईद किट डिस्ट्रीब्यूशन का काम लगातार चल रहा है अलहम्दोलिल्लाह नये नये अहले-खैर लगातार हमसे जुड़ रहे हैं, अभी बहुत से ऐसे घर हैं जहाॅ ईद की खुशियाॅ आप के पहल की मुन्तजि़र हैं .. .. तुरन्त राब्ता करें 9838587399 Kamar Ahmad (Sahara), 9452019493 Dr Seraj, 9919272580 Abdul Mabood Advocate, 9044243331 Barkat
हमसे लोगों की तस्वीर की उम्मीद न करें
मानवअधिकार हेल्पलाईन लोगों के मदद के लिये है... नाम पता तस्वीर फैला कर लोगों को ज़लील करने के लिये नही
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🙈DEEN aur AAKHIRAT-24
🙉 Sunday July 03 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Twenty Four 🙉🙊

रमज़ान का रोज़ा और इबादत कुबूल हुयी की नहीं
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
ज्यादा से ज़्यादा इस्तिगफार (क्षमायाचना) करें
==================
🇸🇦क्योकि इस्तिगफार (क्षमायाचना) अल्लाह के रसूल हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का मामूल था ।
🇸🇦खलीफा ए राशिद उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ (रह) इस्लामी राज्य के हर नगर व मस्जिद में खत लिखकर लोगों को हुक्म दिया कि रमजान के आखिर में सदका व इस्तिगफार करें उन्हेाने कहा
🇸🇦तुम ऐसा ही कहो जैसा तुम्हारे बाप आदम अलैहिस्सलाम ने कहाः

﴿ رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ ﴾ [الأعراف:23]  
“ऐ हमारे पालनहार! हमने अपने ऊपर जु़ल्म किया है,और यदि तू ने हमें माफ न किया और हम पर रहम न किया तो हम घाटा उठाने वालों में से हो जायेंगे।”  (सूरतुल आराफ: 23)
🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि नूह अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ وَإِلاَّ تَغْفِرْ لِي وَتَرْحَمْنِي أَكُن مِّنَ الْخَاسِرِينَ ﴾ [هود:47]
“और अगर तू ने मुझे माफ न किया और मेरे ऊपर रहम न किया, तो मैं घाटा पाने वालों में से हो जाऊँगा।”  (सूरत हूद: 47)
🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ وَالَّذِي أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ ﴾ [الشعراء:82]  
“और जिससे मुझे उम्मीद है कि वह बदला (यानी आखिरत/ परलोक) के दिन मेरे गुनाहों को माफ कर देगा।” (सूरतुश्शुअरा: 82)

 🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ رَبِّ إِنِّي ظَلَمْتُ نَفْسِي فَاغْفِرْ لِي ﴾ [القصص:16]  
“मेरे पालनहार, मैं ने अपने ऊपर जु़ल्म किया है, तो तू मुझे माफ कर दे।”  (सूरतुल क़सस: 16)

 🇸🇦तथा ऐसे ही कहो जैसाकि ज़ुन्नून (यानी यूनुस) अलैहिस्सलाम ने कहा :
﴿ لَّا إِلَهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ ﴾ [الأنبياء:87]
“तेरे सिवाय कोई हकीकी इलाह नहीं (वास्तविक पूज्य नहीं), तू पाक( पवित्र) है, बेशक मैं ही ज़ालिमों (अत्याचारियों ) में से हूँ।” (सूरतुल अंबिया: 87)
🇸🇦हसन बसरी रहिमहुल्लाह कहते हैं: “ ज्यादा से ज्याद इस्तिगफार करो, क्योंकि तुम्हें पता नहीं कि रहम और कुबूलियत कब नाज़िल होगी ै।”
🇸🇦तथा लुक़मान अपने बेटे को वसीयत करते हुए कहते हैं : “ऐ मेरे बेटे, तू अपनी ज़ुबान को इस्तिगफार का आदी बना ले,क्योंकि अल्लाह तआला के लिए कुछ ऐसी घड़ियाँ हैं जिनके अंदर वह किसी सवाली (मांगनेवाले) को नहीं ठुकराता।”
इसलिये रमज़ान के इन आखरी लम्हात में भी और रमज़ान के बाद भी इस्तिगफार करना चाहिए।

🍃या अल्लाह हमारी छोटी छोटी कोशिशों को अपनी मोकद्दस बारगाह में कुबूल फरमा
🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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Thursday, June 30, 2016

DEEn aur AAkhirat -23

🚛‘‘ईद किट’’ EID KIT
============
आपको जानकर खुशी होगी कि ‘‘ईद किट’’ पहुचाने का प्रोग्राम ज़ोर शोर से चल रहा है जो साथी हमारे साथ नहीं जुड़ पायें हैं ,अब अपने-अपने कस्बे, मोहल्ले, ग्राम सभा में इसको बढ़े पैमाने पर करें --कोशिश करें कि जिन्हंे ईद किट दी जा रही उनक नाम लोगो में तशहीर न किया जाये...और किसी तरह की तस्वीर लेकर लोगों को ज़लील न किया जाये.. ..मानवअधिकार हेल्पलाईन लोगों के मदद के लिये है... नाम पता तस्वीर फैला कर लोगों को ज़लील करने के लिये नही
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🙈DEEN aur AAKHIRAT-23
🙉 Friday July 01 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Twenty Three 🙉🙊

रमज़ान का रोज़ा और इबादत कुबूल हुयी की नहीं
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
मौत आने तक अल्लाह की इबादत में मशगूल रहें
==================
😨कल हमने इबादत पर बात शुरू की थी आज अल्हमदोलिल्लाह ताक रातों में से एक रात तीसरी लैलतुलकद्र है जिसमें ज्यादा से ज्यादा कयामुल्लैल और अस्तगफार करने की जरूरत होती है, और हाॅ अगर कोई बन्दा कयामुल्लैल करना चाहता है तो उसे चाहिये कि वह गुनाहेां से दूर रहे..
😰हमारा खुद का तजुर्बा और बुजु़र्गो का कौल है कि, ‘‘जो आदमी गुनाहेां में मुलव्विस हो उसे तौबा और कियामुल्लैल (तहज्जुद) की तौफीक नहीे मिलती ’’
😰कियामुल्लैल अल्लाह का अपने बन्दे को दिया गया बहुत बड़ा एजाज़ (सम्मान) है और गुनाहों में मुलव्विस वो आदमी जिसमें पछतावा न हो इस मर्तबे का हकदार नहीं
😰एक आदमी ने हसन बसरी रहिमहुल्लाह से कहाः ऐ अबू सईद! मैं भला चंगा रात बिताता हूँ, और क़ियामुल्लैल करना चाहता हूँ और अपने वुज़ू के पानी को तैयार रखता हूँ, तो क्या बात है कि मैं उठ नहीं पाता हूँ ? तो हसन ने कहाः तुम्हारे गुनाहों ने तुम्हें बेड़ियां डाल दी हैं।
😰फुज़ैल बिन अयाज़ ने फरमाया: अगर तुम रात को तहज्जुद पढ़ने और दिन को रोज़ा रखने पर पर अपने को न पाओ तो जान लो तुम फटकारे हुये ज़लील, बेबस और जकड़े हुए हो, तुम्हारे गुनाह ने तुम्हें जकड़ दिया है।
😰एक आदमी ने पूछा कि इबादत के लिये सबसे अच्छा दिन कौन सा है तो फरमाया मौत के एक दिन पहले का ....और मौत का दिन किसी को पता नहीे
😨इसलिये आज और अभी से खुद को इबादत में लगा ले....इबादत का सबसे अच्छा मफहूम ये है कि , खुद को आयद जिम्मेदारियों (liabilities) को पूरा करने में लगा दें...जिम्मेदारियाॅ खुदा के ताल्लुक से हो या बन्दों के ताल्लुक से ...
😪अल्लाह ताअला से दुआ है कि ..हुकूकुल्लाह के साथ हुकूकुलएबाद अदा करने की तौफीक अता करे..
😪और हम सब को मुकामें महमूद से नवाजे़

🌹आमीन🌹

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आज़ादी से पहले: Before Independence

आज हम आपको आज़ादी से पहले की भारत की एक ऐसी pharma company के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे एक मुसलमान ने बनाया था।
आप सोच रहे होंगे ऐसी कौन सी company है जो आज़ादी से पहले से भारत में अपनी सेवाएं दे रही है।
.
सन् 1935 में जन्मा सिप्ला देश का पहला फार्मास्युटिकल ब्रांड है। आठ दशक पहले स्व. डॉ. ख्वाजा अब्दुल हमीद ने जब सिप्ला की स्थापना की थी, तब भारतीय उद्योगपति शोध-अनुसंधान के बारे में सोचते भी नहीं थे।
इस सब की शुरूआत हुई 31st अक्टूबर 1898 जब Dr. ख्वाजा अब्दुल हमीद का जन्म अलीगढ में हुआ। इन्होंने MAO Collegiate School (Minto Circle) में 1908 में दाखिला लिया । अपनी शिक्षा पूरी कर इन्होंने एक दवा बनाने वाली कंपनी की शुरूवात की 1935 में जिसे नाम दिया गया “Chemical Industrial and Pharmaceutical Laboratory with the Acronym – CIPLA” वह भी शुरूआती २ लाख की रक़म के साथ।
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#Cipla ने द्वितीय विश्व युद्ध में अच्छी और बड़ी विदेशी MNC कम्पनियों को टक्कर देते हुए इन कम्पनियों की दवाओं से बेहतर और सस्ती दवाए बना कर उपल्बध करवाई। इसी के साथ CIPLA ने उस समय दो बहुत महत्वपूर्ण खोज पूर्ण की जिसमें पहली थी :-
“Nicatinic Acid Dieththylamide जिसका जैविक नाम Coramine है के संश्लेषण का विकल्प ढूंढ निकाला जिसका प्रयोग cardio-respiratory stimulant (हृदय सांस उत्तेजक) के तौर पर किया जाता है।
और दूसरी उपलब्धी थी व्यापारीकरण serpenid का जो rauwolfia serpentine नमक वनस्पति का मूल तत्व है। यह एलोपैथी इलाज में पहला हर्बल उपाय था जिसको उच्च रक्तचाप के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
यह एक शानदार खोज रही और इस खोज ने CIPLA को विश्व pharmaceutical समाज में प्रसिद्ध कर दिया। 1944 के बाद company ने कभी पीछे मूड कर नहीं देखा।
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डॉ ख्वाजा अब्दुल हमीद के बड़े बेटे युसूफ हमीद जो Organic chemistry में PhD हैं ने 1960 में company का दारोमदार संभाला। युसूफ हमीद ने research & development डिपार्टमेंट में अफसर इन चार्ज के तौर पर कंपनी ज्वाइन की। युसूफ हमीद ने अपना ज़्यादातर समय AIDS ,क्षय रोग और श्वास रोग की दवा बनाने में लगाया लगाया है।
इन्हे अपनी ही कंपनी में काम करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। कंपनी join करने से पहले उन्हे सरकार से इसकी इजाज़त लेनी पड़ी यह “British -Raj ” के समय की बात है।
उन्हे शुरूवाती समय में 1500 रुपए पर काम शुरू किया उनको पहली सैलरी एक साल के बाद मिली थी।
उन्होंने भारतीय पेटेंट कानून में बदलाव करने की शुरूआत की और इसके अंतर्गत उन्होंने 1961 में Indian Drug Manufactures Association का गठन किया और 1972 में यह प्रयास सफल हुआ और भारतीय pharma उद्योग को कानूनन आज़ादी मिल गई वह दवा बनाने और बेचने की जिनकी देश में आवश्यकत हो।
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युसूफ हमीद की अगवाई में ही CIPLA को आज “Humanitarion Pharmaceutical Company ” के नाम से भी जाना जाने लगा क्योंकि वे सदा कहते हैं के उन्हे “(उन रोगों से पैसे नहीं बनाने जिन से दुनिया उखड़ जाती है) does not want to make money from diseases that crumble the world “.
आज CIPLA भारत की Multinational Pharmaceutical एंड Biotechnology Company है और दुनिया के करीब 170 देशों में अपनी दवा बेचने के लिए तत्पर हैं।
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1, आज CIPLA, US और Europe के बाहर पहली कंपनी है जिसने CFC – free inhalers शुरू किए।
2, एक ऐसे तकनीक का प्रारंभ किया जिसमें बिना हाथ लगाए , बिना दर्द के ,बिना किसी हानिकारक किरणों के इस्तेमाल से भी वक्ष की जांच हो सकती है जिससे वक्ष के कैंसर का पता लगाया जा सकता है इसे No Touch Breast Scan (NTBC) कहते हैं।
3, 2009 में CIPLA ने anti -flu drugs (Oseltamivir और Zanamivir ) का generic version बनाया H1N1 influenza के इलाज के लिए भारतीय बाजार के लिए।
आज CIPLA का नाम देश और दुनिया में छा गया है। आज़ादी के पहले से आज आज़ादी के बाद तक भी CIPLA देश को बीमारियों से आज़ाद करने की अपनी मुहीम को जी जान से मुकम्मल करने में लगा है। हम गर्व महसूस करते हैं आज Dr. Khwaja Abdul Hamied और Yusuf Hamied जैसे भारतीयों पर और CIPLA जैसी organization पर नाज़ करते हैं ।

Wednesday, June 29, 2016

DEEEN aur AAKHIRAT-22

🙈DEEN aur AAKHIRAT-22
🙉 Thursday June 30 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Twenty Two 🙉🙊

रमज़ान का रोज़ा और इबादत कुबूल हुयी की नहीं
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
मौत आने तक अल्लाह की इबादत में मशगूल रहें
==================
🏇🏽बन्दे को अल्लाह की इताअत व इबादत में हमेशा मशगूल रहना चाहिये, ऐसा न हो कि किसी खास दिन या किसी खास महिने में अल्लाह की इबादत की जाये किसी खास मखसूस जगह पर अल्लाह की इबादत की जाये बाकी दिनों और जगहों को फालतू के मशगलों में ज़ाया कर दिया जाये, ऐसा कत्तई नहीं होना चाहिये बल्कि हमेशा ये जेहन में रहना चाहिये कि, रमज़ान व जुमा का बनाने वाला बाकी बचे दिनो और महिनों का भी पालनहार है
🏇🏽अल्लाह तआला ने फरमाया:
“आप उसी तरह जमे रहिए जैसा कि आपको हुक्म दिया गया है और वे लोग भी जो आपके साथ तौबा कर चुके हैं।”(सूरत हूद: 112)
🏇🏽इस्लामी भाईयो ! मोमिन का अमल खत्म नहीं होता है यहाँ तक कि उसकी मौत आ जाए,
🏇🏽हसन बसरी रहिमहुल्लाह ने फरमाया: अल्लाह तआला ने मोमिन के अमल के लिए मौत के सिवा कोई अंत नही बनाया है, फिर यह आयत तिलावत की:
“अपने रब की इबादत करो यहाँ तक कि तुम्हारे पास मौत आ जाए।”  (सूरतुल हिज्र: 99)
🏇🏽अगर रमज़ान का रोज़ा खत्म हो चुका है, तो उसके अलावा नफ्ल (ऐच्छिक) रोज़े भी हैं, जैसे- शव्वाल के महीने के छः रोज़े, हर हफते  सोमवार और जुमेरात के रोज़े, हर महीने तीन दिनों के रोज़े, आशूरा, अरफा, और मुहर्रम के महीने के रोज़े, वगैरह ।
🏇🏽अगर रमज़ान की रातों में तरावीह व तहज्जुद का पढ़ना खत्म हो गया, लेकिन तहज्जुद पढ़ना साल भर की रातों में मोकामे महमूद हासिल करने के लिये ज़रूरी है , और सुन्नत मुअक्कदह है
🏇🏽जिस पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने इस फरमान के जरिये जोर दिया है : “तुम क़ियामुल्लैल को अपनाआो क्योंकि वह तुमसे पहले के नेक व स्वालेह लोगों का मामूल (स्वभाव) रहा है, तुम्हारे कुर्बत की वजह , बुराईयों को मिटाने वाला, गुनाह से रोकनेवाला और शरीर से बीमारी को दूर करने वाला है।”  इसे तिर्मिज़ी और अहमद ने रिवायत किया है।
🏋अल्लाह रब्बुल इज्जत हम सब को कयामुल्लैल की तौफीक अता करे
🏋और मोकामें महमूद से आरास्ता करे

🌹आमीन🌹

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Tuesday, June 28, 2016

DEEn aur AAkhirat-21

🙈DEEN aur AAKHIRAT-21
🙉 Tuesday June 28 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Twenty One 🙉🙊

रमज़ान का रोज़ा और इबादत कुबूल हुयी की नहीं
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
अपने किए पर पानी मत फेरें
==================
💫उस औरत की तरह न हो जाएं जिसने अपने काते हुए सूत को टुकड़े टुकड़े कर दिया!!
💫आप ने रमज़ान से फायदा उठाया है, और आपके अंदर मुत्तक़ियों के सिफात (गुण) पैदा हो गए हैं, तो इस पर अल्लाह तआला की बंदगी करें उसका एहसान मानें
💫और अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से दुआ करें कि , ‘‘ऐ अल्लाह मुझे मौत आने तक तक्वा परहेज़गारी और बन्दगी के रास्ते पर कायम रखें’’
💫रमज़ान के बाद बुराईयों में फॅसने अल्लाह की नाफरमानी , कुरान के खिलाफ काम करने हज़रत मोहम्मद सल्ललल्लाहो अलैहि वसल्लम के लाये हुये दीन के मनाफी अमल करने से खुद को रोकें ओर खुद को जहन्नम में न ढकेलें न अपने दोस्तो को तरगीब दें।
💫आप का रमज़ान के बाद लगातार नेकी करते रहना आपके अमल कुबूल होने का सबसे बड़ा सुबूत है।
💫जबकि रमज़ान के तुरन्त बाद बुराईयों मंे कूद पड़ना नेकियों नमाजों से गुरेज़ करना कुरान को पलट कर भी न देखना बदनसीब और कमज़र्फ होने की खुली दलील है।
💫बिश्र अल-हाफी से कहा गया कि: कुछ लोग केवल रमज़ान में अल्लाह की इबादत में मेहनत करते हैं, तो उन्हों ने कहा:“वे लोग कितने बुरे हैं जो अल्लाह तआला को हकीकत रूप से केवल रमज़ान में पहचानते हैं, बेशक नेक आदमी वह है जो साल भर अल्लाह की इबादत करता है और उसमें मेहनत करता है।”
💫बेशक मोमिन और मुस्लििम वो नेक आदमी है जो साल भर अल्लाह और उसके बन्दों का हक अदा करते हैं
💫गरीबो मोहताजों को जालिमों के एताब से बचाते हैं
💫यही सच्चे इबादत गुज़ार है।
🌦अल्लाह रब्बुल इज्जत से दुआ है कि
🌧हमें रमज़ान के मकसद को समझने की तौफीक अता करे
⛈और हमें रमजान की रहमतो बरकतों से मालामाल करें।

🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
🌿रमजान के बारे में अगर आपके पास अच्छा और मुख्तसर मैटर हो तो हमें भेंजें
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Sunday, June 26, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-20

🙈DEEN aur AAKHIRAT-20
🙉 Monday June 27 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Twenty 🙉🙊

रमज़ान का रोज़ा और इबादत कुबूल हुयी की नहीं
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔

☝🏼अभी जह्रन्नम से निजात का अशरा चल रहा है आज लैलतुलकद्र की ताक रातों में से एक रात है ...
☝🏼अल्लाह तआला हमें लैलतुलबद्र में ज्यादा से ज्यादा सजदा कयाम तिलावत अज़कार इस्तिगफार करने की तौफीक अता करें
☝🏼हमारे बुजु़र्गाें को हमेशा अपने अमल के कबूल होने की फिक्र रहती थी
☝🏼अली रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा सब्र व तहम्मुल के साथ काम करते थे, फिर जब वे काम से फारिग हो जाते थे तो उन्हें यह फिक्र घेर लेती थी कि उनका अमल क़बूल हुआ या नहीं।
☝🏼अली रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि: अमल के क़बूल होने की अमल से अधिक फिक्र करो, क्या तुम ने अल्लाह का यह फरमान नहीं सुना : “अल्लाह तआला परहेज़गारों से ही क़बूल फरमाता है।” (सूरतुल मायदा: 27).
☝🏼हम में से कौन है जो इन दिनों में इस बात की फिक्र करता है कि उसका अमल क़बूल हुआ या नहीं ?
☝🏼हम में से कौन है जो इस बात की दुआ करता है कि अल्लाह तआला उसके रमज़ान को क़बूल फरमाए ?
☝🏼हमारे बुजु़र्गाें का हमेशा यह स्वभाव (मामूल) था कि वे छः महीना इस बात की दुआ करते थे कि अल्लाह उन्हें रमज़ान का महीना नसीब करे,
☝🏼फिर वे छः महीना इस बात की दुआ करते थे कि अल्लाह तआला उनसे क़बूल फरमाए।
☝🏼अमल के क़बूल होने की एक बड़ी निशानी एक नेकी के बाद दूसरी नेकी का करना है,
☝🏼अगर रमज़ान के बाद भी आदमी नेकी पर क़ायम रहता है और बराबर नेकियाँ करता रहता है तो यह उसके रमज़ान के अमल के क़बूल होने और अल्लाह तआला के उस व्यक्ति से राज़ी होने की पहचान है।
☝🏼अल्लाह तआला से दुआ है कि हमारे रोज़े और क़ियामुल्लैल को क़बूल फरमाए,
☝🏼इस महीने को हमारे हक़ में गवाह बनाए हमारे खिलाफ गवाह न बनाए,
☝🏼और हमें अपने जह्रन्नम से निजात दे ,
 ☝🏼और हमें सफलता प्राप्त और मक़बूल बंदों में से बनाए।
☝🏼और हमें कामयाब और मकबूल बरगज़ीदह बन्दों में शामिल करे
🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
🌿रमजान के बारे में अगर आपके पास अच्छा और मुख्तसर मैटर हो तो हमें भेंजें
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Saturday, June 25, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-19

🙈DEEN aur AAKHIRAT-19
🙉 Sunday June 26 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Nineteen 🙉🙊
😰😰😰😰😰😰😰
रमजान हमसे विदा लेने को है
😪😪😪😪😪😪😪
 ⏰आज बहुत लेट हो गयी है फिर भी हम थोडा सोच विचार कर ही ले कि

⌚हम ने रमज़ान से क्या लाभ प्राप्त किया ?
========================
⌛दोस्तों भाईयो! रमज़ान हम को अलविदा कहने वाला है,
⌛क़ुरआन, तक़्वा व परहेज़गारी, सब्र (धैर्य), जददोजहद (संघर्ष), रहम (दया), तौबा (क्षमा) और जहन्नम से निजात (नरक से मुक्ति )का महीना हमसे रूख्सत है होने वाला है।
⌛लेकिन सवाल यह है कि हमने उससे कितना फाायदा उठाया है,
⌛क्या हमने रोज़े का सबसे बड़ा मकसद तक़्वा (ईश्भय) प्राप्त किया? ...
⌛क्या हमने रमज़ान के पाठशाला से मुत्तिक़यों का सनद (प्रमाण पत्र) हासिल किया है ?!
⌛क्या हमने इस महीने में शरीयत की पIबन्दी (आज्ञाकारिता) पर सब्र, धैर्य और सहनशीलता से काम लेना और अवज्ञा से सब्र किये रहना (यानी उपेक्षा करना) सीखा ?

⌛क्या हमने अपने आपको विभिन्न प्रकार के जददोजहेद पर आमादा (संघर्ष पर प्रशिक्षित ) किया ?!

⌛ क्या हमने अपनी इच्छाओं से संर्घर्ष (नफ्स के खिलाफ जददोजहेद) किया और उस पर गालिब रहे ?!

⌛इस तरह के बहुत से प्रश्न एक सच्चे मुसलमान के दिल में पैदा होते हैं . . जिसे उसे चाहिए कि अपने आप से पूछे और सच्चार्ह के साथ उसका उत्तर दे: कि

⌛मैं ने रमज़ान से क्या लाभ प्राप्त किया ?
⌛रमज़ान ईमान का एक पाठशाला है . . यह एक रूहानी खुराक हासिल करने का सुनहरा मौका है
⌛इसमेंु साल के बचे हुये ग्यारह महिनों के लिये खुराक जुटाई जाती है।
⌛जो आदमी रमज़ान के महीन में सीख नहीं लेगा, नसीहत नहीं पकड़ेगा, लाभ नहीं उठायेगा, अपने जीवन में परिवर्तन नहीं लायेगा और अपनी स्थिति को नहीं बदलेगा, वह ऐसा कब करेगा ?!

⌛हकीकत में यह अपने अन्दर बड़ा बदलाव लाने का बेहतरीन  मौका है, जिसमें हम अल्लाह की शरीअत के हिसाब से अपने कार्यों, स्वभावों, व्यवहारों और आचरण को बदल सकते हैं।
 ⌛जैसा कि कुरान का फरमान है “अल्लाह तआला किसी कौम की हालत नहीं बदलता, जब तक कि वह खुद अपने अंदर बदलाव न लाये।” (सूरतुर-रअद: 11).

💝खुदा ने आज तक उस  क़ौम  की हालत  नहीं बदली
. 💝न हो जिसको ख्याल खुद अपनी हालत के बदलने का

🍁अल्लाह से दुआ हैं कि वह हमें अपनी हालात पर सही से गौर व फिक्र करनें की तौफीक अता करे
🍁या अल्लाह हमें जिस्मानी जेहनी रूहानी व इल्मी कूवत अता कर
🍁या अल्लाह हमें दुनिया व आखेरत में नेक कारों का ईमाम बना

🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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Friday, June 24, 2016

DEEN aur AAKHIRAT -18

🙈DEEN aur AAKHIRAT-18
🙉 Saturday June 25 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Eightteen 🙉🙊
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रमजान हमसे विदा लेने को है
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शबे क़द्र: आत्म-सुधार के ज़रिये तक़दीर बदलने की रात shabe qadr

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शबे क़द्र की निशानीः
🔆🔆🔆🔆🔆
💥प्यारे रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इस रात की कुछ निशानी बयान फरमाया है जिस के ज़रिये से इस मुकर्रब रात को पहचाना जा सकता है।
💥(1) यह रात बहूत रोशनी वाली होगी, आसमान रोशन होगा , इस रात में न तो बहुत गरमी होगी और न ही सर्दी होगी बल्कि माहौल अच्छा होगा, बेहतर होगा। जैसा कि मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने निशानी बताया है जिसे सहाबी वासिला बिन अस्क़अ रिवायत करते है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया " शबे क़द्र रोशनी वाली रात होती है, न ज़्यादा गर्मी और न ज़्यादा ठंढ़ी और माहौल बैलेन्सड होता है और सितारे को शैतान के पीछे नही भेजा जाता।" ( तब्रानी )
💥(2) यह रात बहुत बैलेन्स वाली रात होगी। माहौल बहुत अच्छा होगा, न ही गर्मी और न ही ठंडी होगी। हदीस रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) इसी बात को स्पष्ट clear करती है " शबे क़द्र माहौल बैलेन्स रात होती है, न ज़्यादा गर्मी और न ज़्यादा ठंढ़ी और उस रात के सुबह का सूरज जब निकलता है तो लालपन धिमा होता है।" ( सही- इब्नि खुज़ेमा तथा मुस्नद त़यालसी
💥(3) शबे क़द्र के सुबह का सूरज जब निकलता है तो रोशनी धिमी होती है, सूरज के रोशनी में किरण (Rays) न होता है ।जैसा कि उबइ बिन कअब वर्णन करते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया " उस रात के सुबह का सूरज जब निकलता है तो रोशनी में (आम दिनों की तरह) किरण न होती है।" ( सही मुस्लिम )
🌕हक़ीक़त तो यह है कि इन्सान इन रातों की निशानियों का तआर्ररूफ (परिचय) कर पाए या न कर पाए
🌕बस वह अल्लाह की इबादतों, ज़िक्रो- अज़्कार, दुआ और कुरआन की तिलावत,कुरआन पर गौरो फिक्र (गम्भीरता से विचार) करे ।
🌕इख्लास के साथ, केवल अल्लाह को खुश करने के लिए अच्छे तरीक़े से अल्लाह की इबादत करे, प्यारे रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की इताअत करे, और अपनी कूवत (क्षमता) के अनुसार अल्लाह की खूब इबादत करे
🌕और शबे क़द्र में यह दुआ ज्यादा से ज्यादा करे " अल्लाहुम्मा इन्नक अफुव्वुन करीमुन, तू हिब्बुल-अफ्व,फअफु अन्नी"
 , अधिक से अधिक अल्लाह से अपने गुनाहों , गलतियों, गंनाहों घटिया हरकतों, गलीज़ नियतों पर माफी मांगे
🌕जैसा कि आइशा (रज़ी अल्लाहु अन्हा) रिवायत करती हैं कि, मैं ने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से सवाल क्या कि अगर मैं क़द्र की रात को पा लूँ तो क्या दुआ करू तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया " अल्लाहुम्मा इन्नक अफुव्वुन करीमुन, तू हिब्बुल-अफ्व,फअफु अन्नी"
मतलब : ऐ अल्लाह ! बेशक तू माफ करने वाला है, माफ करने को पसन्द फरमाता, तो मेरे गुनाहों को माफ कर दे।"
अल्लाह हमें और आप को इस महिने में ज्यादा से ज़्यादा भलाइ के काम, लोगों के फलाह मदद के काम, अल्लाह की इबादत तथा ज़िक्र  की कूवत प्रदान करे और हमारे गुनाहों, पापों, गलतियों को अपने रहमों करम ( दया तथा कृपा ) से माफ (क्षमा) करे।

🌹आमीन🌹
🔜कल से जहन्नम से निजात का अशरा शुरू होने वाला है इस मौके पर एतेकाफ कर अल्लाह की मेहमानी हासिल की जाये 🔜हमारे नौजवान दोस्त नियत करे एतेकाफ में बैठें।
🔜जो लोग ‘‘ईद किट’’ के ज़रिये बेसहारा गरीब लोगों की ईद को बेहतर बनाना चाहते हैं
🔜या ज़कात सदाकात फितरा वगैरह सही जगह पहुॅचाना चाहते है
🔜राब्ता करें- 9838587399 कमर भाई सहारा, 9452019493 डा0 सिराज 9919272530 अब्दुल माबूद एडवोकेट 90044243331 बरकत भाई MANAV.ADHIKAR.HELP.LINE
✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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Thursday, June 23, 2016

DEEN aur AAKHRAT-17

🙈DEEN aur AAKHIRAT-17
🙉 Friday June 24 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Seventeen 🙉🙊
😰😰😰😰😰😰😰
रमजान हमसे विदा लेने को है
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शबे क़द्र: आत्म-सुधार के ज़रिये तक़दीर बदलने की रात shabe qadr

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🌖यह महान क़द्र की रात कौन सी है ?
🌖आइशा (रज़ी अल्लाहु अन्हा) वर्णन करती हैं कि " रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया " कद्र वाली रात को रमज़ान महीने के अन्तिम दस ताक़ (odd) रातों में तलाशों " ( बुखारी तथा मुस्लिम)
🌖रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इस मुबारक रात की कुछ निशानियाँ बताया है। जिस के अनुसार वह रात एकीस रमज़ान की रात थीं जैसा कि प्रिय रसूल के साथी अबू सईद अल खुद्री (रज़ी अल्लाहु अन्हु) वर्णन करते हैं।
 🌖प्रिय रसूल के दुसरे साथी अब्दुल्लाह बिन अनीस (रज़ी अल्लाहु अन्हु) की रिवायत से पता चलता कि वह रात तेईस रमज़ान की रात थीं
🌖और अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ी अल्लाहु अन्हुमा) तथा उबइ बिन कअब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) की रिवायत से पता चलता कि वह रात सत्ताईस रमज़ान की रात थीं
🌖और उबइ बिन कअब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) तो कसम खाया करते थे कि शबे क़द्र सत्ताईस रमज़ान की रात है,
🌖तो उन के शागिर्द ने प्रश्न किया कि किस कारण इसी रात को कहते हैं? तो उन्हों ने उत्तर दिया, निशानियों के कारण,
🌖प्रिय रसूल मोहम्मद (रज़ी अल्लाहु अन्हु) ने भी शबे क़द्र को अन्तिम दस ताक वाली(21,23,25,27,29) रातों में तलाश ने का आदेश दिया है।
🌖सब हदीसों को पढ़ने के बाद मालूम होता है कि शबे क़द्र हर वर्ष विभिन्न रातों में आती हैं।
🌖कभी 21 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 23 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 25 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 27 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 29 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती 🌖और यही बात सही मालूम होता है।
🌖इस लिए हम इन पाँच बेजोड़ वाली रातों में शबे क़द्र को तलाशें और बेशुमार अज्रो सवाब के ह़क़्दार बन जाए।
🌷या अल्लाह हम सब केा फिक्रो नज़र व तहकीक का जे़हन अता कर
🌷या अल्लाह हमें चीज़ो ं को ऐसा ही दिखा जैसे की वो हैं न की वैसा, जैसा कि हम उन्हें देखना चाहते है

🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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Wednesday, June 22, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-16

🙈DEEN aur AAKHIRAT-16
🙉 Thursday June 23 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-SIXteen 🙉🙊
😰😰😰😰😰😰😰
रमजान हमसे विदा लेने को है
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शबे क़द्र: आत्म-सुधार के ज़रिये तक़दीर बदलने की रात shabe qadr

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⚫रमज़ान महीने में एक रात ऐसी भी आती है जो हज़ार महीने की रात से बेहतर है जिसे शबे क़द्र कहा जाता है।
⚫शबे क़द्र का अर्थ होता है " सर्वश्रेष्ठ रात " ऊंचे स्थान वाली रात " शबे क़द्र बहुत ही महत्वपूर्ण रात है जिस के एक रात की इबादत हज़ार महीनों की इबादतों से बेहतर और अच्छा है।
⚫इस रात की फज़ीलत कुरआन मजीद और प्रिय रसूल मोहम्मद( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की हदीसों से प्रमाणित है।
1⃣(1) इस पवित्र रात में अल्लाह तआला ने कुरआन करीम को लोह़ महफूज़ से आसमाने दुनिया पर उतारा फिर 23 वर्ष की अविधि में अवयशक्ता के अनुसार मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर उतारा गया। जैसा कि अल्लाह तआला का इरशाद है।
" हमने इस (कुरआन) को कद्र वाली रात में अवतरित किया है।.. " (सुराः कद्र)
2⃣(2) अल्लाह तआला स्वयं ही इस रात की फज़ीलत को बयान फरमाया कि यह एक रात हज़ार महीनों की रात से उत्तम है। " और तुम किया जानो कि कद्र की रात क्या है ? क़द्र की रात हज़ार महीनों की रात से ज़्यादा उत्तम है।" (सुराः कद्र)
3⃣(3) " फ़रिश्ते और रूह उस में अपने रब की अनुज्ञा से हर आदेश लेकर उतरते हैं। " (सुराः कद्र)
4⃣(4) " यह रात पूरी की पूरी सलामती है उषाकाल के उदय होने तक। " (सुराः कद्र)
5⃣(5) इस रात में अल्लाह की इबादत की जाए, ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह से दुआ की जाए, अल्लाह का फरमान है। " हम्ने इस (कुरआन) को बरकत वाली रात में अवतरित किया है।...... " (सुराः अद् दुखान)
6⃣(6) इस रात में अल्लाह तआला के आदेश से लोगों के नसीबों (भाग्य) को लिखा जाता है। " यह वह रात है जिस में हर मामले का तत्तवदर्शितायुक्त निर्णय हमारे आदेश से प्रचलित किया जाता है। " (सुराः अद् दुखानः5 )
7⃣(7) यह रात पापों , गुनाहों, गलतियों से मुक्ति और छुटकारे की रात है। मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का इरशाद है। " जो व्यक्ति शबे क़द्र में अल्लाह पर विश्वास तथा पुण्य की आशा करते हुए रातों को तरावीह (क़ियाम करेगा) पढ़ेगा, उसके पिछ्ले सम्पूर्ण पाप क्षमा कर दिये जाएंगे" ( बुखारी तथा मुस्लिम)
❣अल्लाह ताआला हम सब को दीन की सही समझ अता फरमाये ...
❣शायरूल्लाह की हिफाज़त और एहतेराम करने की तौफीक अता करे

🌹आमीन🌹
⁉यह महान क़द्र की रात कौन सी है ?
⁉इसकी पहचान क्या है..?
⁉अल्लाह ने इसका दिन मुकर्रर क्यों नहीं किया है ..?
⁉इस रात को तलाशने का हुक्म क्यों दिया है ?
✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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Tuesday, June 21, 2016

👉27👉तु मेरा नहीं बनता तो मत बन....अपना तो बन👈27👈 🖖 जीवन का ए. बी. सी., A,B,C of Life

🖖 जीवन का ए. बी. सी., A,B,C of Life
💯♠💯♥💯♣💯♦💯
👉27👉तु मेरा नहीं बनता तो मत बन....अपना तो बन👈27👈
🍀कोई भी काम एक दिन में सफल नहीं होता दरअसल यह तो एक पेड़ जैसा होता है
🍀पहले इसके बीज आपके आत्मा में बोना पड़ता है ,
🍀हिम्मत की खाद से इसे पोषित करना  पड़ता है
🍀और मेहनत के पानी से इसे सींचना पड़ता है
🍀तब जाकर वह सालों बाद फल देने लायक होता है .
 🍀तुरंत फल की उम्मीद करना कोरी मुर्खता से अधिक कुछ भी नहीं है.
🍀सफलता के  लिए इन्तजार करना आना चाहिए , जीवन की ए.बी.सी. आनी चाहिये
 🍀" जीवन का ए. बी. सी. क्या है ?
🍀यह है - Awareness (सजगता), Belongingness (अपनापन) तथा Commitment (प्रतिबद्धता).
🍀 किसी भी क्षेत्र मे ए. बी. सी. की आवश्यकता होती है.
🍀सजगता बुद्धिमतता पैदा करती है. अपनत्व ह्र्दय को पोषित करती है और प्रतिबद्धता जीवन को पोषित करती है.
🍀यदि हम ए.बी.सी. पर ध्यान देते हैं तो हम समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकते है.
🍀जीवन का ए.बी. सी. तुम्हारे अंदर विस्तार को लाता है.
🍀जीवन के प्रति सजगता, पूरि सृष्टि (Universe) के प्रति अपनत्व और जीवन मे मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता, यह हमारी दृष्टि को विस्तृत करने और हमारी जड़ों को गहरा करने मे सहायक होगी.
🍀सजगता, अपनापन तथा प्रतिबद्धता(Awareness, Belonginess, Commitment) सफलता की कुँजी है."
🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆
 ♻All the best !♻
🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆
🔜बाकी बातें बहुत जल्द...🔜🔙

🌟🌟🌟part -27- Sunday 3 Jan  -2016🌟🌟🌟
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™zainul.abdin.initiative
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Saturday, June 18, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-12

🙈DEEN aur AAKHIRAT-12
🙉 Sunday June 19 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Twelve🙉🙊
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🕌हजरत मोहम्‍मद सल्‍ललाहू अलै. ने फरमाया- 4 बातों को इस महीने में खूब करो, जिनमें से 2 चीज़े अल्‍लाह को राज़ी करने के लिए हैं वह यह कि पहला कलिमा खूब पढ़ो और अस्‍तग़फार खूब पढ़ो। दूसरी 2 चीजें अपने फायदे के लिए हैं वह ये कि जन्‍नत की दुआ करो और जहन्‍नुम से बचने की दुआ मांगो।
🕌(1) कलिमा- ला इलाहा इलल ला मोहम्‍मदुर रसूलुल्‍लाह। हदीसों में इसको सबसे अच्‍छा जिक्र माना गया है। अगर सातों आसमान, सातों ज़मीन और उनके आबाद करने वाले (यानी सारे इंसान और जिन्‍नात), सारे फरिश्‍ते, चांद-सूरज, सारे पहाड़, सारे समुद्र तराजू के एक पलड़े में रख दिए जाएं और एक तरफ ये कलमा रख दिया जाए तो कलमे वाला हिस्‍सा भारी पड़ जाएगा। इसलिए ये कलिमा चलते-फिरते, उठते-बैठते पढ़ते रहें।

🕌(2) अस्‍तग़फार- अस्‍तग़फिरुल्‍ला हल लज़ी लाइलाहा इल्‍ला हुवल हयिल कयुम व अतुबु इलैही।  हदीसों में आया है कि जो शख्‍स अस्‍तग़फार को खूब पढ़ता है अल्‍लाह पाक हर तंगी में उसके लिए रास्‍ता निकाल देता है और हर दुख को दूर कर देते हैं और उसके लिए ऐसी जगह से रोजी-रोजग़ार पहुंचाता है कि उसे गुमान भी नहीं होता।

🕌हदीस में आया है कि आदमी गुनाहगार तो होता ही है, पर बेहतरीन गुनाहगार वह है जो तौबा करते रहे। जब आदमी गुनाह करता है तो एक काला नुक्‍ता उसके दिल पर लग जाता है। अगर तौबा कर लेता है तो वह धूल जाता वर्ना बाकी रहता है।

🕌(3-4) दौज़ख से पनाह मांगे और जन्‍नत में जाने की दुआ करें। हम जब भी अल्‍लाह से जन्‍नत की दुआ करें तो जन्‍नतुल फिरदोस मांगे क्‍योंकि जन्‍नत के भी कई दर्जें होते हैं और सबसे ऊंचा दर्जा जन्‍नतुल फिरदोस है।

🕌जब मांग ही रहे हैं तो सबसे ऊंची चीज मांगे क्‍योंकि उस देने वाले (अल्‍लाह) के खजाने में कोई कमी नहीं है। हम मांग-मांग कर थक जाएंगे पर वह देकर नहीं थकता।

🕌तुम कभी भी भलाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कि तुम अपनी प्यारी चीज़ में से ख़र्च न करो (परोपकार में) और जो कुछ भी ख़र्च करोगे, सो अल्लाह जानता है।
 -कुरआन, 3, 92

🕋अल्लाह से दुआ है कि अल्लाह हमें सच्ची तौबा की तौफीक अता करे
🕋हमारे इल्म में बढ़ोत्तरी करें
🕋हमारे ईमान और यकीन को रमज़ान के तुफैल में सुर्खुरू करे
🕋हमारे छोटे और अदना आमाल को भी जन्नतुल फिरदौस हासिल करने का ज़रिया बना दे।
🕋हमें खुलूस दिल के साथ जक़ात सदकात फितरे का एहतेमाम करने की तौफीक दे


🌹आमीन🌹

✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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Friday, June 17, 2016

DEEN aur AAKHIRAT -11

🙈DEEN aur AAKHIRAT-11
🙉 SATURday June 18 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Eleven🙉🙊
👆👆👆✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊👆👆👆
🐝और अगर आप ने हमने रमज़ान में बुरे कार्य किए हैं
🐝और इस कीमती मौके (बहुमूल्य अवसर) को बरबाद कर दिया है या इस में लापरवाही और कोताही से काम लिया है! तो
🐝अल्लाह (ईश्वर) की यह रहमत और मेहेरबानी (दया और कृपा) है कि उसने हमारे शबो रोज (दैनिक दिनचर्या) लिखनेवाले फरिश्तों के द्वारा हमारे गुनाहों (पाप) के लिखे जाने से पहले हमें तौबा और अस्तगफार (पश्चाताप) करने का अवसर दिया है।
 🐝पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “बायें ओर वाला फरिश्ता दोषी मुसलमान बंदे से अपने क़लम को छः घंटा उठाए रखता है, यदि उसने अस्तगफार (पश्चाताप) कर लिया और अल्लाह तआला से तौबा (क्षमायाचना) कर लिया तो वह क़लम रख देता है, अन्यथा वह एक गुनाह (पाप) लिख दिया जाता है।”(अस्सहीहा: 1201)
🐝तथा अल्लाह तआला बराबर रात को अपना हाथ फैलाता है ताकि दिन में करनेवाला तौबा कर ले, और दिन को अपना हाथ फैलाता है ताकि रात में गुनाह (पाप) करनेवाला तौबा कर ले।

🐝अतः आप और हम उन लोगों में से न बनें जो अल्लाह तआला का डर (भय) नहीं रखते और रात दिन गुनाह पर गुनाह किऐ जाते हैं,
🐝आप और हम तौबा की तरफ जल्दी करें,
🐝तौबा का दररवाजा खुला हुआ है,
🐝आप जहाँ भी आएं जाएं इस बात को न भूलें कि आप अल्लाह तआला के निगरानी में हैं।
🐝तथा आप अल्लाह की रहमत से नउम्मीद (दया से निराश) न हों,
🐝बेशक अल्लाह तआला सभी गुनाहों को माफ (क्षमा) कर देता है,
 🐝इसलिए आप जल्दी करें हिचकिचाहट (संकोच) में न पड़ें।
🐝और हाँ, आपके दिल में यह बात न पैदा हो कि मेरे गुनाह बहुत अधिक हैं उनके साथ तौबा करने से कुछ नहीं होगा,
 🐝मैं ने कोई भी गुनाह नहीं छोड़ा है जिसे न किया हो!
🐝इस तरह की नउम्मीदी की बाते सोचने से कोई फायदा नहीं,
🐝क्योंकि अल्लाह तआला फरमाता है: “ऐ आदम के बेटे! अगर तेरे गुनाह आकाश की ऊँचाई तक पहुँच जाएं फिर तू मुझसे माफी का मामला (क्षमायाचना) करे, तो मैं तुझे माफ (क्षमा) कर दूँगा और मुझे कोई परवाह नहीं, ऐ आदम के बेटे! यदि तू मेरे पास धरती भर गुनाह लेकर आए फिर मुझसे इस हालत में मुलाक़ात करे कि तू मेरे साथ किसी को साझी न ठहराता (शिर्क न करता) हो, तो मैं तुझे उसी के बराबर माफी (क्षमा) प्रदान करूँगा।” (सहीहुल जामे)

🍁ऐ अल्लाह ! हमें ज्यादा से ज्यादा अस्तागफार और तौबा की तौफीक अदा कर
🍁ऐ अल्लाह !हमें शिर्क करने वालों का हामी और मददगार न बना
🍁ऐ अल्लाह !हमारे कबीर और सगीरा गुनाहों को बख्श दे

🌹आमीन🌹
✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
🌿रमजान के बारे में अगर आपके पास अच्छा और मुख्तसर मैटर हो तो हमें भेंजें
⚙जैनुल आब्दीन इनीशियेटिव
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Thursday, June 16, 2016

DEEN aur AAKHiRAT-10

🙈DEEN aur AAKHIRAT-10
🙉 FRIday June 17 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-TEN🙉🙊
👆👆👆✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊👆👆👆
🌴ऐ रमज़ान में अच्छे कार्य करने वाले!
🌴आपने मेहनत करके रोज़ा रखा और रात को नमाज़ों में गुज़ारा, अल्लाह तआला आपकी नेकी को कुबूल (स्वीकार) करे,
🌴आपके हिदायत (मार्गदर्शन) में वृद्धि करे, आपको तक्वा (ईश्भय) और परहेज़गारी प्रदान करे,
🌴यदि आप ऐसे लोगों में से हैं जिन्हें अल्लाह तआला ने रमज़ान के महीने में नेक कार्य करने की तौफीक़ दी है,
🌴तो अब आपके लिए यह बाक़ी रह गया है कि अल्लाह तआला से दुआ करें कि वह आपके कार्य को क़बूल करे और उसे खालिस अपने लिए बनाए और आपको बड़ा अज्र व सवाब प्रदान करे।
🌴क्योंकि नेक लोगों की खासियत (विशेषता) यह होती है कि वे किसी अमल से धोखे में नहीं पड़ते हैं, बल्कि उनके दिलों में भय होता है, वे अचानक मौत के धर पकड़ने से डरते रहते हैं।
 🌴उम्मुल मोमिनीन आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा कहती हैं कि मैं ने कहा: ऐ अल्लाह के पैगंबर! अल्लाह ज़लजलाल (सर्वशक्तिमान) का फरमान: “और जो लोग देते हैं जो कुछ वे देते हैं जबकि उन के दिल घबराये (भयभीत) होते हैं कि वे अपने मालिके हकीकी (पालनहार) की ओर लौटने वाले हैं।” (अल-मोमिनून: 60)
🌴से अभिप्राय क्या वह आदमी है जो ज़िना (व्यभिचार) करता है, चोरी करता है, शराब पीता है और इसके बावजूद वह अल्लाह से डरता है ?
 🌴तो आप ने फरमाया: ‘‘नहीं, बल्कि वह ऐसा आदमी है जो नमाज़ पढ़ता है, रोज़ा रखता है और सदक़ा व खैरात करता है, इसके बावजूद वह अल्लाह ज़लजलाल (सर्वशक्तिमान)  से डरता रहता है।”  (मुस्तद्रक हाकिम भाग-2, हदीस संख्या: 3486)
🌴दोस्तों भाईयो! आप ने अल्लाह की इबादत में कितना भी जदृदोजहद (संघर्ष) किया हो लेकिन आपका हाल यही होना चाहिए कि आपको उसके क़बूल न होने का डर लगा रहे,
🌴आपको इस बात का खौफ हो कि कहीं आपके दिल में कोई खोट न रहा हो इसलिये लगातार दिल को खोट से पाक करनेें की कोशिश करतें रहें
🍁अल्लाह तआला से दुआ हैं कि हमारें दिलों को दिखावे बुग्ज और किना से पाक रखें और हमें सोचो फिक्र और अमल की परहेजगारी अता करे
🌹
🌹आमीन🌹
✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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उम्मीद तो रखे पर दबाव ना डालें ! KEEP EXPECTATION but Don't Pressurize

👫उम्मीद तो रखे पर दबाव ना डालें !
👫👫👫👫👫👫👫👫👫
💌 कहानी कह गयी.. एक कहानी part 6
🌴चलिये आज आप को फिर एक कहानी सुनाते हैं
👧किसी शहर में एक शादी-शुदा महिला थी और उसकी 16 साल की एक बच्ची भी थी.
👧उसके पति दूसरे शहर में नौकरी करते थे. उसने अपनी बेटी से बड़ी उम्मीदें लगा रखी थी और बेटी की छोटी सी गलती भी उससे बर्दाश्त नहीं होती थी.
👧जब बेटी की परीक्षाएं चल रही थी तब माँ ने उसे चेतावनी दी थी उसे मेरिट लिस्ट में आना ही हैं. मेरिट से कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा,
👧 यहाँ तक की प्रथम श्रेणी भी फेल होने की तरह मानी जाएगी. लड़की मेधावी थी लेकिन थी तो किशोरी ही. जब उम्मीदों का दबाव बढ़ा तो वह परेशान हो गयी. जैसे तैसे परीक्षाएं निबटी और अब रिजल्ट का इंतज़ार होने लगा.
👧आखिर वह दिन आ ही गया.
👧माँ को सुबह सुबह काम पर जाना था सो बेटी रिजल्ट लेने गयी और माँ अपने ऑफिस. ऑफिस से उसने कई बार घर पर फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. हैरान परेशान माँ भोजन अवकाश में घर पहुंची.
👧उसने देखा की दरवाजे की कुण्डी चढ़ी हुई थी.बहरहाल, वह अन्दर गयी. उसने देखा की बेटी के कमरे के टेबल पर कोई कागज़ रखा हुआ हैं. शायद कोई चिट्ठी थी.
👧उसके मन में ढेरो शंकाएं उमड़ने घुमड़ने लगी उसने धडकते दिल से कागज़ उठाया. वह माँ के नाम बेटी का ही पत्र था. उसमे लिखा था
👸प्रिय माँ ,
👸मुझे बताते हुए बड़ा संकोच हो रहा हैं की मैंने घर छोड़ दिया हैं और मैं अपने प्रेमी के साथ रहने चली गयी हूँ
👸मुझे उसके साथ बड़ा अच्छा लगता हैं. उसके वो स्टाइलिश टैटू ,कलरफुल हेयर स्टाइल … मोटरसाइकिल की रफ़्तार,
👸वे हैरतअंगेज करतब. वाह ! उस पर कुर्बान जाऊ.
👸मेरे लिए ख़ुशी की एक और बात हैं. माँ , तुम नानी बनने वाली हो.
👸मैं उसके घर चली गयी, वह एक झुग्गी बस्ती में रहता हैं. माँ उसके ढेर सारे दोस्त हैं. रोज शाम को वो सब इकठ्ठा होते हैं और फिर खूब मौज मस्ती होती हैं.
 👸माँ एक और अच्छी बात हैं अब मैं प्रार्थना भी करने लगी हूँ.
👸मैं रोज प्रार्थना करती हूँ की AIDS का इलाज जल्दी से जल्दी हो सके ताकि मेरा प्रेमी लम्बी उम्र पाएं.
👸माँ मेरी चिंता मत करना. अब मैं 16 साल की हो गयी हूँ और अपना ध्यान खुद रख सकती हूँ.
👸माँ तुम अपने नाती -नातिन से मिलने आया करोगी ना ?
 👸-तुम्हारी बेटी

👼👼फिर कुछ नीचे लिखा था...

👧नोट : माँ ,परेशान होने की जरूरत नहीं हैं. यह सब झूठ हैं .
👧मैं तो पडोसी के यहाँ बैठी हूँ. मैं सिर्फ यही दर्शाना चाहती थी की मेज़ की दराज में पड़ी मेरी मार्कशीट  ही सबसे बुरी नहीं हैं,
👧इस दुनिया में और भी बुरी बातें हो सकती है।

👉बच्चों से उम्मीद तो रखे पर दबाव ना डालें.
👉कही ऐसा ना हो की दबाव और डांट डपट के चलते वे कोई गलत कदम उठा ले
👉और आपको भारी खामियाजा भुगतना पड़े .
👊👊👊👊👊👊
👊Be Positive
👊सकारात्मक रहे
👊सकारात्मक जिए...
👎Frustrated = Iblees
👍Positive Thinker = Adam
 ♻All the best !♻
🔜बाकी बातें बहुत जल्द...🔜🔙

🌟🌟🌟🌟🌟🌟
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औरतो खतरा : Women BE Alert!

👸औरतो  खतरा
💇💇💇💇

👠लोग कहते है कि मस्जिद में औरतो के जाने से फितने का खतरा है

👠मै उन लोगो से सवाल करता हूँ कि

👠जब औरतें सिनमा हालो में,

👠सर्कस देखने,

👠बाज़ारो में,

👠मज़ारो पर

https://www.facebook.com/SHE-is-390234557711582/?ref=bookmarks

👠मेला देखने वगैरह

👠जैसी जगहों पर जाती है

👠 तो उनको कोई खतरा नहीं होता

👠सारा खतरा मस्जिदो में ही नज़र आता है

Tuesday, June 14, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-8

🙈DEEN aur AAKHIRAT-8
🙉 Wednesday June 15 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Eight🙉🙊
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👆 क़ुरआन व हदीस की रौशनी में ज़कात के मुस्तहिक़ लोग 👆
      ==================================
❤ अल्लाह का बड़ा एहसान व फज़लोकरम है कि, हमारा पोस्ट किया मैटर बहुत से लोग बहुत ही ध्याान से पढ़ते है
❤और कमियों से आगाह करते रहते है ...
❤ऐसे सभी लोगों केा अल्लाह रब्बुलइज्जत जज़ाये खैर अता करे..
❤कल के के पोस्ट में.. ज़कात के मद में... आजेमीन की जगह ....गारेमीन होना था..बहरहाल
🔑अल्लाह ने ने ज़कात की तक़सीम के मसारिफ़ मुतय्यन कर दिए हैं जो 8 हैं।
🔑 लिहाज़ा यह ज़रूरी है कि इस बात की तहक़ीक़ कर ली जाए कि जिन्हें हम ज़कात दे रहे हैं वे क़ुरआन व हदीस की रू से उसके मुस्तहिक़ हैं और हमारी ज़कात निम्नलिखित 8 मदों मे ही अदा हो रही है।
✏फ़ुक़रा (मुफ़लिसों)
✏मसाकीन (मुहताजों)
✏आमिलीन (ज़कात के काम में जाने वालों)
✏मौल्लिफ़तुल क़ुलूब (ऐसे ग़ैर मुस्लिम जिनकी दिलजोई की ज़रूरत हो)
✏रिक़ाब (गर्दन छुड़ाने में)
✏ गारेमीन (क़र्ज़दार)
✏सबीलिल्लाह (अल्लाह की राह में जानतोड़ संघर्ष करने वालों
✏इब्नुस्सबील (मुसाफ़िर जो सफ़र में ज़रूरतमंद हो)
🔑एक हदीस में है कि एक शख्स ने अल्लाह के रसूल से कुछ माल तलब किया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि ‘‘मेरे पास सदक़ा का माल है, अगर तुम उसके मुस्तहिक़ हो तो दे सकता हूं वर्ना नहीं‘‘,
🔑यानि ज़कात देते वक्त हक़ीक़त जानना इस हदीस से साबित है। ‘फ़ुक़रा‘ वे लोग हैं जिनके पास ज़िन्दगी की ज़रूरतें पूरी करने का सामान नहीं है और खाने पीने से भी मुहताज हैं
🔑लेकिन असल फ़ुक़रा की शान सूरा ए बक़रा की 273वीं आयत में अल्लाह तआला ने यूं बयान फ़रमाई है-भावार्थ-‘‘वे फ़ुक़रा जो अल्लाह की राह में रोक दिए गए हैं, जो मुल्क में चल नहीं सकते, नादान लोग उनके सवाल न करने की वजह से उन्हें मालदार ख़याल करते हैं। आप उनके चेहरे देखकर उन्हें पहचान लेंगे क़ियाफ़ा से। वे लोगों से लिपट कर सवाल नहीं करते। तुम जो कुछ माल ख़र्च करो तो अल्लाह उसका जानने वाला है।‘‘
🔑इसी तरह मिस्कीन की तारीफ़ हदीस शरीफ़ में यह है कि हुज़ून नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि दरअसल मिस्कीन तो वह है कि जिसके पास इतना माल न हो जो उसे किफ़ायत कर जाए और कोई उसका हाल भी न जानता हो कि उसे ख़ैरात दे दे और न लोगों से ख़ुद सवाल करे।(सही बुख़ारी किताबुज़्जकात)
🔑दअसल ज़कात का मक़सद ही यह है कि ग़रीब और नादार लोगों और ज़रूरतमंदों की ज़रूरत पूरी की जाए और अपने आस पास के लोगों, रिश्तेदारों पड़ोसियों, यतीमों, विधवाओं, ग़रीब विद्यार्थियों, ज़रूरतमंद मुसाफ़िरों, क़र्ज़दारों की ख़बरगीरी की जाए और ज़कात के मुस्तहिक़ीन की तहक़ीक़ करके उन्हें ज़कात दी जाए।
🎄अल्लाहतआला से दुआ है कि हम अपनी जकातो को सही मुस्तहकीन तक पहुॅचा सके
🎄और उन शैतानो के फितने से बच सके जो जरूरतमंदों के नाम पर मुसलमानों की जकातो को लूट रहे हैं और अपनी तोदें भर रहें हैं और अपनी ख्वाहिशें नफस की पैरवी कर रहे हैं
🌹आमीन🌹
✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
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Monday, June 13, 2016

DEEN aur AAkhirat-7

🙈DEEN aur AAKHIRAT-7
🙉 Tuesday June 14 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Seven🙉🙊
👆👆👆✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊👆👆👆
👆 क़ुरआन व हदीस की रौशनी में ज़कात के मुस्तहिक़ लोग 👆
      ==================================
💰रमज़ान में मिलने वाले सवाब की वजह से लोग आम तौर पर जकात रमजान के महिने में देते हैं और इसी वजह से रमज़ान जकात का महिना भी बन गया हैं I
💰कलिमा ए तय्यिबा के इक़रार के बाद ज़कात इसलाम का तीसरा स्तंभ है
💰और इसकी अहमियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि क़ुरआन मजीद में नमाज़ क़ायम करने के हुक्म के साथ बार बार ज़कात अदा करने का हुक्म दिया गया है।
💰ज़कात का मक़सद इसलामी समाज में मालदार लोगों से माल लेकर ग़रीब लोगों की आर्थिक रूप से मदद करना है ताकि ग़रीबी का ख़ात्मा हो।
 💰आज मुसलमानों में जो मुफ़लिसी और ग़रीबी हमारे समाज में मौजूद है वह इस बात का सुबूत है कि ज़कात की सही अदायगी नहीं हो रही है
💰और वह असल हक़दारों तक पूरी तरह नहीं पहुंच रही है।
💰आम तौर से लोग इस बात से नावाक़िफ़ हैं कि ज़कात लेने के हक़दार कौन कौन लोग हैं और ज़कात किन लोगों पर फ़र्ज़ है ?
💰हर वह शख्स जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या 52 तोला चांदी या इस निसाब के मूल्य जितने माल पर साल गुज़र जाए तो उसे उस का चालीसवां हिस्सा यानि 💰ढाई प्रतिशत ज़कात अदा करनी फ़र्ज़ है।
💰क़ुरआन व हदीस में ज़कात को सदक़ा भी कहा गया है।
💰सूरा ए तौबा की 9वीं आयत का तर्जुमा है-
💰‘‘ज़कात जो हक़ है वह हक़ है
💰फ़ुक़रा (मुफ़लिसों) का
💰और मसाकीन (मुहताजों) का
💰और आमिलीन (ज़कात के काम में जाने वालों) का
💰और मौल्लिफ़तुल क़ुलूब (ऐसे ग़ैर मुस्लिम जिनकी दिलजोई की ज़रूरत हो) का
💰और रिक़ाब (गर्दन छुड़ाने में) का
💰आज़िमीन (क़र्ज़दार) का
💰और सबीलिल्लाह (अल्लाह की राह में जानतोड़ संघर्ष करने वालों) का
💰और इब्नुस्सबील (मुसाफ़िर जो सफ़र में ज़रूरतमंद हो)‘‘
🌿अल्लाहतआला से दुआ है कि वो हमें जकात कि मदो को सही से समझने
🌿और उसकी सही तकसीम करने वाला बनाये
🌿और जो लोग मुसलमानों की सारी जकात हड़प कर अपनी जहन्नम तैयार कर रहें हैं
🌿उनके फितने और शर से उम्मते मुस्लिमा की हिफाजत फरमाये
🌹आमीन🌹

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Sunday, June 12, 2016

DEEN aur AAKHIRAT-6

🙈DEEN aur DUNIYA
🙉 Monday June 13 2016
 🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-Six🙉🙊
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📗 रोज़ा एक इबादत है। रोज़े को अरबी भाषा में ‘‘सौम’’ कहते हैं। इसका अर्थ ‘‘रुकने और चुप रहने’’ के हैं।
 📗क़ुरआन में इसे ‘‘सब्र’’ भी कहा गया है, जिसका अर्थ है ‘स्वयं पर नियंत्रण’ और स्थिरता व जमाव (Stability)।
📗इस्लाम में रोज़े का मतलब होता है केवल ईश्वर (अल्लाह)  के लिए, भोर से लेकर सूरज डूबने तक खाने-पीने, सभी बुराइयों (और पति-पत्नी का सहवास करने) से स्वयं को रोके रखना।
📗अनिवार्य रोज़े, जो केवल रमज़ान के महीने में रखे जाते हैं और यह हर व्यस्क मुसलमान के लिए अनिवार्य हैं।
📗क़ुरआन में कहा गया है—
‘‘ऐ ईमान लाने वालो! तुम पर रोज़े अनिवार्य किए गए, जिस प्रकार तुम से पहले के लोगों पर किए गए थे, शायद  कि तुम डर रखने वाले और परहेज़गार बन जाओ।’’ (क़ुरआन, 2:183)
📗रोज़ा एक बहुत महत्वपूर्ण इबादत है। हर क़ौम में, हर पैग़म्बर ने रोज़ा रखने की बात कही।
📗आज भी रोज़ा हर धर्म में किसी न किसी रूप में मौजूद है।
📗क़ुरआन के अनुसार रोज़े का उद्देश्य इंसान में तक़वा या संयम (God Consciousness) पैदा करना है।
📗तक़वा का एक अर्थ है—‘ईश्वर (अल्लाह) का डर’ और दूसरा अर्थ है—‘ज़िन्दगी में हमेशा एहतियात वाला तरीक़ा अपनाना।’
 📗ईश्वर (अल्लाह) का डर एक ऐसी बात है जो इंसान को असावधान होने अर्थात् असफल होने से बचा लेता है।
📗कु़रआन की आयत (Verse) ‘ताकि तुम डर रखने वाले और परहेज़गार बन जाओ’—2:183, से पता चलता है कि रोज़ा, इंसान में ईश्वर का डर पैदा करता है और उसे परहेज़गार (संयमी) बनाता है।
📗ईशदूत पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ने फ़रमाया—
‘‘जिस व्यक्ति ने (रोज़े की हालत में) झूठ बोलना और उस पर अमल करना न छोड़ा, तो ईश्वर को इसकी कुछ आवश्यकता नहीं कि वह (रोज़ा रखकर) अपना खाना-पीना छोड़ दे।’’ (हदीस : बुख़ारी)
📗‘‘कितने ही रोज़ा रखने वाले ऐसे हैं, जिन्हें अपने रोज़े से भूख-प्यास के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं होता।’’ (हदीस : दारमी)
📗हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के शब्दों में हम कह सकते हैं—
‘‘हर चीज़ पर उसको पाक, पवित्र करने के लिए ज़कात है और (मानसिक व शारीरिक बीमारियों से पाक करने के लिए) शरीर की ज़कात (दान) रोज़ा है।’’ (हदीस : इब्ने माजा)
📗ज़कात के बारे में इंशाअल्लाह कल बात करेंगे
📗अल्लाह तआला हम सब को तक्वा व परहेज़गारी की ज़िन्दगी अता करे,
📗 रमज़ान की हर रहमत से मालामाल करे
📗 आमीन

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Saturday, June 11, 2016

Deen aur AAKHIRAT-5

🙈DEEN aur AAKHIRAT
🙉Sunday June 12 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-5🙉🙊
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📕. क़ुरआन बताता है कि दुनिया इंसान के लिए एक परीक्षास्थल है।
📕"इंसान की ज़िन्दगी का उद्देश्य ईश्वर (अल्लाह) की इबादत (उपासना) है। (क़ुरआन, 51:56)"
 📕इबादत का अर्थ ईश्वर (अल्लाह) केन्द्रित जीवन (God-centred life) व्यतीत करना है।
📕इबादत एक पार्ट-टाइम नहीं, बल्कि फुल टाइम अमल है, जो पैदाइश से लेकर मौत तक जारी रहता है।
📕 वास्तव में इंसान की पूरी ज़िन्दगी इबादत है, अगर वह ईश्वर (अल्लाह) की मर्ज़ी के अनुसार व्यतीत हो।
📕ईश्वर (अल्लाह)  की मर्ज़ी के अनुसार जीवन व्यतीत करने का आदी बनाने के लिए, आवश्यक था कि कुछ प्रशिक्षण भी हो, इसलिए नमाज़, रोज़ा (निराहार उपवास), ज़कात और हज को इसी प्रशिक्षण के रूप में रखा गया।
📕इनमें समय की, एनर्जी की और दौलत की क़ुरबानी द्वारा इंसान को आध्यात्मिक उत्थान के लिए और उसे व्यावहारिक जीवन के लिए लाभदायक बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
📕इस ट्रेनिंग को बार-बार रखा गया, ताकि इंसान को अच्छाई पर स्थिर रखा जा सके, क्योंकि इंसान अन्दर व बाहर से बदलने वाला अस्तित्व रखता है।
📕ईश्वर (अल्लाह) सबसे बेहतर जानता है कि कौन-सी चीज़ इंसान के लिए लाभदायक है और कौन-सी हानिकारक।
 📕ईश्वर (अल्लाह) इंसान का भला चाहता है इसलिए उसने हर वह काम जिसके करने से इंसान स्वयं को हानि पहुँचाता, करना हराम (अवैध) ठहराया और हर उस काम को जिसके न करने से इंसान स्वयं को हानि पहुँचाता, इबादत कहा और उनका करना इंसान के लिए अनिवार्य कर दिया।
📕ईश्वर (अल्लाह) का अन्तिम सन्देश क़ुरआन, दुनिया में पहली बार रमज़ान के महीने में अवतरित होना शुरू हुआ।
📕इसीलिए रमज़ान का महीना क़ुरआन का महीना कहलाया। इसे क़ुरआन के मानने वालों के लिए शुक्रगुज़ारी का महीना बना दिया गया और इस पूरे महीने रोज़े रखने अनिवार्य किए गए।

अल्लाह ताअला हम सब को कुरान को पढ़ने समझने व अमल करने की तौफीक अता फरमाये

🌸आमीन
🌸
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Friday, June 10, 2016

Deen aur AAKHIRAT-4

🙈DEEN aur AAKHIRAT
🙉Saturday June 011 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-4🙉🙊
👆👆👆✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊👆👆👆

💜अभी तक हम ने सब्र और शुक्र को कुछ हद तक समझा है और ये जानने की कोशिश की है कि रमजान से हमें वाकाई में क्या हासिल करना है आज परहेज पर कुछ रोशनी डाली जायेगी
💜(परहेज़) = इंसान की हवा के बाद सबसे पहली ज़रूरत खाना और पीना है बाकि सारी ज़रूरत खाने पीने के मुकाबले में कुछ भी नहीं हैं.
💜एक प्यासा ही एक ग्लास पानी की सही कीमत जानता है.
💜आप को रोज़े में बहुत प्यास और भूक लगी हुई है और पानी और खाना दोनों घर में मौजूद हैं और कोई देखने वाला भी नहीं है,
💜लेकिन अभी वो आपके रब ने आप पर हराम कर रखा है इस लिए आप उसे अभी नहीं खा पी रहे
💜बल्कि उस वक़्त का इन्तिज़ार कर रहे हैं जब वो आप पर हलाल हो जाएगा.
💜वो इंसान जिसकी प्यास की वजह से जीभ भी ऐंठ गई हो फिर भी वो पानी नहीं पी रहा क्यों कि उसके रब ने उस पर वो हराम कर रखा है
💜तो बाकि अल्लाह की हराम की हुई चीज़ें झूठ बोलना दूसरों को सताना गलत तरह से पैसा कमाना शराब पीना जैसे हराम कामों से परहेज़ करना सिर्फ इसलिए क्यों कि वो उसके रब ने उस पर हराम की हैं उसके लिए क्या मुश्किल है ?
💜 जो सख्त प्यास की हालत में पानी से परहेज़ कर सकता है वो हर चीज़ से परहेज़ कर सकता है.
💜भूक इंसान में कमजोरी पैदा करती है और कमजोरी इंसान के अन्दर झुकाओ पैदा करती है.
💜इसके साथ ही रमज़ान हमें वक़्त की पाबन्दी और नमाज़ की आदत भी सिखाता है,
💜जैसे ट्रेनिंग के बाद सिपाही जंग के मैदान में जाता है और ट्रेनिंग में सीखे हुए हुनर का इस्तिमाल करता है
💜ऐसे ही हमें हर रमज़ान के बाद ग्यारह महीने शैतान से जंग करनी है
💜और उसके लिए वही हुनर यानि सब्र, शुक्र और परहेज़ इस्तिमाल करने हैं जो हमें रमज़ान ने सिखाए थे.
💜"(रमज़ान का महीना है जिसमे कुरआन नाजिल किया गया, लोगों के लिए रहनुमा बना कर और बहुत साफ़ दलीलों की सूरत में जो अपनी असल के लिहाज़ से सरासर हिदायत भी है और हक और बातिल का फैसला भी (सूरेह बक्राह =185) "
💜रमज़ान सवाब का महीना है आओ हम सब मिल कर इसे हिदायत का महीना बनाएं,
💜इस बार हम सब अपनी बुराइयों पर गौर करें और कोशिश करें कि उनको मिटाएँ.........
💙ऐ अल्लाह हमें तकवा और परहेजगारी की जिन्दगी अता कर
💙हमें दिखावे और तकब्बुर से ंअपनी पनाह में ले ले
💙हमें मोमिनाना सिफत अता  कर
❤ऐ अल्लाह ! हम सब को अपने शुक्र गुजार बंदों में शामिल कर ले
❤और हमें अपनी सारी मखलूक के साथ अच्छा व्यहवार करने की तौफीक अता कर
❤हमें शिर्क कुफ्र और दज्जाल के फितने से अपनी पनाह में ले   ले
🌸आमीन
🌸
✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
🌿रमजान के बारे में अगर आपके पास अच्छा और मुख्तसर मैटर हो तो हमें भेंजें
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Wednesday, June 8, 2016

💤आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन💤part-4-Last

💤आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन💤part-4-Last
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
ओर लोगों और कम्यूनिटी के बारें में तो हम नहीं जानते या कुछ कहना नहीं चाहते लेकिन मुसलमानों को देखता हूॅ और कुरान हदीस के अवराक (पन्ने )पलटता हूॅ तो ताज्जुब भी होता है और दुख भी होता है क्यो कि तार्किक एकेश्वरवाद (एक अल्लाह में यकीन) और हजरत मोहम्मद की शिक्षाओं को छोड़कर जब भी र्ये कौम किसी पंडा पुरोहित मौलाना और तथाकथित बेड़ापार करने वालों के चक्कर में पड़ी तो अंध आस्था का शिकार होकर रह गयी उसे फिर चाॅद उल्टा नजर आना पेड़ पौधे बादलों में अल्लाह का नबी का नाम दिखाया जाने लगता है .. आस्था का ऐसा ज्वार उठता है किॅ तर्क बोदा होकर रह जाता है बेलन पीढ़ा सिल बटटा पर आस्था हिलोरे मारने लगती हैं.... फिर तो व्हाट्स ऐप और फेसबुक पर स्वर्ग नरक के फैसले आगे न फारवर्ड करने वालों को बड़े बड़े नुकसान के डर की धमकी और भेजने वाले को बीएमडब्लू और करोड़पती बनने के दिलासे... ताज्जुब होता है ये कुरान रसूल ओर अल्लाह को मानने का दावा करने वाले लोग कर रहें है
 भूकम्प के बारें में कुरान क्या कहता है ??
अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद ने आज हो रहे घटनाक्रम ओर आगे आने वाली भारत से लेकर रशिया तक की घटनाओं के बारे में क्या बताया है ???
और क्या करने और सोचने को कहा है और किस चीज से सचेत रहने को कहा है ?????
अफवाह फैलाने वालों के बारे में क्या कहा है..??
शिर्क और आस्था पर क्या हुक्म दिया है.. ??
अब सवाल उठता है कि इसको नियंत्रित कैसे करें? क्या यह किसी व्यवस्था की जिम्मेदारी है? क्या इसके लिए किसी सरकार या व्यवस्था को कोसा जाए? हम कब स्वनियंत्रित होंगे? कब हममें नैतिकता और जिम्मेदारी का स्वबोध होगा?
कब हमें अधिकार के साथ कर्तव्य का आत्मज्ञान होगा? अब वक्त का तकाजा है कि हम सोशल साइट्स पर सोशल रहें, आप खुद भी सावधान रहें और दूसरों को भी ऐसी अफवाह फैलाने पर जोरदार तार्किक 'तमाचा' मारें! उसे सोशल साइट्स पर ही अनसोशल घोषित करें. ये मौका हमदर्दी के साथ-साथ सतर्कता का भी है. एक छोटी सी अफवाह लाखों लोगों के जीवन के साथ खेल रही है.

और हाॅ
आखिर में ये धरती ये आसमाॅ
हिन्दु और मुसलमाॅ
सब उसी ईश्वर और परवरदिगार के हैं
आज उसने धरती को थोड़ा सा हिला कर सचेत कर दिया हैं कि
इस धरती पर हम किरायेदार की तरह हैं
यहाॅ कोई मकान मालिक बनने की कोशिश न करें ....
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💤आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन💤part-3

💤आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन💤part-3
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सूचनाओं और खबरों को सबसे पहले और तेजी से पहुंचाने का काम भी अब सोशल मीडिया कर रहा है. सोशल मीडिया अब संवाद का एक शक्तिशाली माध्यम बन चुका है. इसने आम आदमी की आवाज बुलंद करने और उसके अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. ये आम से खास लोगों की ताकत बनती जा रही है. लेकिन अब इसका वह चेहरा सामने आ रहा है जो समाज के लिए चेतावनी है. अफवाह का अड्डा बन रहा है, अब सवाल ये है कि क्या सोशल मीडिया नियंत्रण नहीं होने की वजह से खतरनाक बनता जा रहा है. क्या इसका अब अनसोशल रूप सामने आ रहा है. याद करिए मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान इसका भयंकर रूप सामने आया. सोशल साइट्स पर अपलोड किए गए फर्जी वीडियो से समाज में ऐसी नफरत फैली कि सरकार के लिए दंगा नियंत्रित करना मुश्किल हो गया सोशल मीडिया पर अफवाह कोई भी फैलाए, कहीं से भी फैलाए, कैसे भी इरादे से फैलाए, ये जंगल की आग की तरह फैलती है. जरा सोचिए ये अफवाह फैलाने वाले कौन हैं? ये आपमें और हममें से ही 'कुछ' हैं. अब बताइए आप को क्या कहा जाए. आप जरा सोचें कि आपका एक अफवाह भरा भद्दा मजाक लाखों जिन्दगी को संकट में डाल देता है. अब आपके इस करतूत को क्या कहा जाए.. सोचिए.. एक बार फिर सोचिए कि आप कितने सोशल हैं?
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💤आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन💤part-2

💤आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन💤part-2
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भूकंप एक ऐसी भूगर्भीय घटना है जिसकी सही सही
भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। लेकिन शनिवार को
आए भूकंप और इसके ऑफ्टरशॉक्स के चलतो लोगों में
भूकंप को लेकर जहां डर का माहौल है वहीं कुछ लोग
इस मौके का गलत 'फायदा' भी उठा रहे हैं। ये शरारती
तत्व सोशल मीडिया जैसे ट्विटर, फेसबुक, गूगल प्लस,
वाट्सऐप के जरिए अफवाह फैला कर लोगों को परेशान
कर रहे हैं। हमारी गुजारिश है कि आप इन सब पर ध्यान न दें।
 न ही ऐसे मेसेजेस को फॉरवर्ड करके इस तरह की अफवाहों को बढ़ावा दें।
नासा और मौसम विभाग की ओर से न तो ऐसे संदेश भेजे गए हैं
और न ही भूकंप को लेकर अब तक कोई भविष्यवाणी की गई है।
एक अफवाह के मुताबिक, उत्तर भारत में अगला भूकंप रात 8.06 बजे आएगा।
इसकी तीव्रता 8.2 होगी। यह नासा की खबर है। अगला भूकंप और भी भयावह,
खतरनाक होगा। यह पूरी बात अफवाह थी और लोगों में इसे लेकर पैनिक रहा।
 एक अन्य अफवाह में कहा गया कि भूकंप से पूरी दुनिया समाप्त  हो जाएगी।
यह प्रलय के संकेत हैं और अब प्रलय आने वाली है, जैसी अफवाह उड़ाई जा रही हैं।
 भारतीय मौसम विभाग के हवाले से भी वाट्स ऐप पर इस तरह की भविष्यवाणियों के मेसेज आ रहे हैं।
 नासा ने उसके नाम से जारी की जा रही इस तरह की अफवाहों को रोकने के उद्देश्य से
बयान तक दे दिया कि उन्होंने भूकंप की कोई भविष्यवाणी नहीं की।
बिहार और झारखंड जैसे इलाकों मे ये मेसेज तेजी से फैल रहे हैं।
एक अन्य अफवाह में कहा गया कि चांद उल्टा हो गया है और यह अनहोनी की निशानी है।
जबकि, इस अफवाह पर मौसम विभाग की ओर से कहा गया
 इस महीने में चांद ऐसा ही दिखता है और यह कोई अनहोनी नहीं है।
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आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन :

💤आदमी के नीचे से सरकती ज़मीन💤
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कोई भी 'ताकत' माजी और मुस्तकबिल के बीच पुल के रूप में होना चाहिए जिससे कि मुल्क और समाज की तकदीर बने.अधिकार के साथ दायित्व का होना बेहद जरूरी होता है अन्यथा यह अधिकार 'शक्ति' के रूप खतरनाक बन जाता है. प्रिंट याइलेक्ट्रानिक मीडिया में संपादकीय टीम हर लेख के प्रति जिम्मेदार होती है, लेकिन सोशल मीडिया में दायित्व का बोध कम ही दिख रहा है. कल रात को मेरी बुआ की लड़की घबराई हुई पूछ रही थी कि क्या चांद उल्टा है? मैंने सोचा मजाक कर रही है,अभी मैं डांटता उससे पहले ही बोल पड़ी, "जरा न्यूज़ में पता करिए कि कब-कब भूकंप आने वाला है? व्हाट्सएप पर कई तरह की बातें बताई जा रही हैं. हम लोग करीब दो रातों से बाहर सो रहे हैं, ये कितने दिन तक चलेगा?" और ढ़ेर सारी अफवाहों वाली बातें. इसके बाद तमाम अफवाहों के मैसेज मैंने व्हाट्सएप पर देखें, कुछ देर के लिए मैं खुद सहम गया. नेपाल में भूकंप से तबाही का सिलसिला बरकरार है. भूकंप अभी भी नेपाल, बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल और दिल्ली को डरा रहा है. भूंकप आने के कुछ घंटे बाद से ही व्हाट्सएप पर अफवाहें फैलने लगी थी कि भूंकप फिर कब और कितने बजे आने वाला है? व्हाट्सएप समेत सोशल मीडिया के इस चेहरे में वो घटनाएं हैं जो हैरान कर देती हैं, सोचने पर मजबूर कर देती हैं. साइबर अफवाहबाजी की खतरनाक समस्या भी दिखती है. खास बात ये है कि साइबर अफवाह का शिकार कोई एक शख्स नहीं बल्कि समाज और देश भी बनते हैं. पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया का तेजी से विस्तार हुआ है और कम वक्त में ही ये राजनीति और देश की दशा और दिशा को प्रभावित करने की हैसियत पर पहुंच गया है.
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मेरी नरमी मेरी कमजोरी : MY WEAKNESS N TENDERNESS

🗡🇸🇦 मेरी नरमी को मेरी कमजोरी ना समजना ऐ नादान ,,
 सर झुका कर चलता हुं तो सिर्फ अल्लाह के खौंफ से 🇸🇦🗡

तुम्हारी मंजिल: UR DESTINY

किसी की मय्यत में जाओ तो यह मत समझना कि
तुम उसे उसकी मंजिल पर ले जा रहे हो .....
.
बल्कि यह समझना कि
-
जनाजे पर लेटी हुई मय्यत, मुर्दा हो कर भी
तुम्हें तुम्हारी मंजिल दिखाने ले जा रही है..

https://www.facebook.com/graveinfo/?ref=bookmarks

कम आबादी का डर :FEAR OF POPULATION

कम आबादी का डर
============
तमिलनाडु में मुस्लिम पापुलेशन 6 प्रतिशत है जबकि यूपी बिहार में मुस्लिम आबादी वहां से लगभग तीन गुना ज़्यादा है
जो लोग यूपी और बिहार के मुसलमानो को कम आबादी का डर दिखा कर डराते हैं उन्हें तमिलनाडु के मुसलमानो से सीखना चाहिए जिन्होंने अपनी पॉलिटिकल पार्टी से पॉलिटिकल प्रेशर बना रखा है चाहे sdpi, iuml या mmk हो ये तीनो मुस्लिम पॉलिटिकल पार्टी तमिलनाडु में एक्टिव सियासत करती हैं !
पालीटिकल पार्टी के साथ साथ अपनी यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज इंजिनियरिंग कालेज के अलावा अपने पार्क अपने माॅल भी चला रहें हैं । जिस कौम के सरमायादार (पैसे वाले) अपनी कौम की फलाह बयबूद के लिये कोशिश नहीं करते उन्हें तौबा अस्तगफार में अपना ज्यादा गुजारना चाहिये,,,,क्योकी कल आखिरत में कौम की पस्ती और जेहालत के लिये वही जिम्मेदार टहराये जायेंगें।
किसी भी काम के लिए तादाद की नहीं हिम्मत की ज़रूरत होती है !

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DEEEN aur AAKHIRAT -2

🙈DEEN aur AAKHIRAT
🙉Wednesday June 08 2016
🙊 रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-TWO🙉🙊
👆👆👆✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊✊👆👆👆
🌴क्ल हम ने कहा था कि रमज़ान अपनी असल में एक ट्रेनिंग का महीना है और इस महीने का मकसद इन्सान को सब्र, शुक्र और परहेज़ करने की ट्रेनिंग देना है.
🌴 आज हम सब्र के बारे में कुछ बात करने की कोशिश करेंगें
🌴आप लोगों से एक गुजारिश है कि इस बात का ख्याल रखें कि व्हाट्स ऐप या फेसबुक पर बहुत लम्बी बात नहीं की जा सकती और ज्यादा जानकारी के लिये किताबों का मुताअला STUDY जरूर करें
🌴(सब्र) साबित कदम रहना, मतलब जिस जायज चीज को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं उसको हासिल करने की कोशिश में किसी रूकावट की परवाह न करना
🌴 किसी की धमकी किसी की धौस चालबाजिायों की परवाह न करते अपने काम में लगे रहना =
 🌴एक सरसरी निगाह दुनियां पर डाली जाए तो हमें यह देखने को मिलता है कि हर इंसान सब कुछ बहुत जल्दी पा लेने की कोशिश में अंधों की तरह दौड़ रहा है,
🌴वह इज्ज़त, दौलत और ऐश की हर चीज़ को फ़ौरन पा लेना चाहता है और इसके लिय जो भी उससे बन पड़ता है वो कर गुज़रता है वो तब तक ही ईमानदार रहता है जब तक उसे बेईमानी का सेफ मौका नहीं मिलता.
🌴इज्ज़त, दौलत और एशो आराम पाने की तमन्ना करना और उनके लिए कोशिश करना ना कोई गुनाह है और ना कोई बुरी बात,
🌴बल्कि हकीक़त यह है कि यह सब चीज़ें इंसान के लिए ही हैं. इनको पाने की कोशशि करने में ईमानदारी की हदों से बाहर ना जाने को ही सब्र कहते हैं,
🌴रोज़ा हमें सब्र कर ने की ट्रेनिंग इस तरह देता है कि दिन के ख़त्म होने तक हम पर खाना पीना बंद कर देता है और हमारे पास शाम तक इन्तिज़ार करने के सिवा कोई चारा नहीं रहता.
🌴इसके साथ ही अल्लाह का हुक्म यह है कि अगर रोज़े में आप को कोई गुस्सा दिलाए या लड़ने पर उभारे तो आप को उस से बदला नहीं लेना है
🌴बल्कि यह कह कर कि ''मैं रोज़े से हूँ'' अलग हो जाना है.
🌴"जो शख्स झूट बोले और उस पर अमल करना न छोड़े तो अल्लाह को इस बात की कोई हाजत नही के वो खाना पीना छोड़े ~ (मुस्लिम)
🌴"रोज़ा ढाल हैं, लिहाज़ा जब कोई रोज़ा रखे तो बेहयायी की बाते न करे और बेहयापन न दिखाये | अगर कोई दूसरा शख्स रोज़ेदार से गाली गलौज करे या झगड़े तो रोज़ेदार कह दे, मैं रोज़े से हूं| ~(बुखारी)
🌴 एक महीने तक रोज़ ऐसे रोज़े रखने पर इंसान सब्र करना सीख जाता है और फिर वो अपने सब्र करने की सलाहियत (क्षमता) को खाने पीने से हटा कर
 🌴दूसरी हराम चीज़ों पर बड़ी आसानी से इस्तिमाल कर सकता है.
🌴अल्लाह तआला से दुआ है कि हमें सच्ची साबित कदमी अता करे और सब्र के हकीकी माने की तरफ हमारे दिलो को जमा दे
🌴हमारे दिलों को शिर्क के फितने से पाक करे हमारे रोजों को अपनी रहमतों को हासिल करने का जरिया बना दे
🌸आमीन
🌸
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Tuesday, June 7, 2016

”जमा हुआ रक्त” ===========Blood clotting, or coagulation,


”जमा हुआ रक्त”
===========

प्रो. डॉ. कीथ मूर जो कि वर्तमान समय मे विश्व मे एम्ब्रियोलॉजी अर्थात् भ्रूण शास्त्र के सबसे बड़े ज्ञाता माने जाते हैं, और टोरंटो विश्वविद्यालय (कनाडा) के डिपार्टमेण्ट आफ एनाटॉमी एण्ड सेल बॉयोलॉजी मे विभागाध्यक्ष रह चुके हैं, इन्होंने जब शोध कार्य के लिए कुरान की कुछ पवित्र आयतों का अध्ययन किया तो कुरान को ईश्वरीय ग्रंथ मानने पर मजबूर हो गए …

1980 मे प्रोफेसर कीथ मूर को सऊदी अरब की किंग अब्दुल अजीज युनिवर्सिटी मे शरीर विज्ञान और भ्रूण शास्त्र पर व्याख्यान देने के लिए निमंत्रित किया गया , जब प्रोफेसर मूर सऊदी मे थे तो उन्हे किंग अब्दुल अजीज युनिवर्सिटी की एम्ब्रियोलॉजी कमेटी मे भी शामिल किया गया |
– इसी समय प्रोफेसर मूर से कहा गया कि वे क़ुरआन में भ्रूण शास्त्र से संबंधित आयतों और भ्रूण शास्त्र से सम्बन्धित हदीसों पर भी अध्ययन कर के उनपर अपने विचार बताएं । प्रोफेसर मूर ने सातवीं शताब्दी ईसवी मे लिपिबद्ध की गई कुरान और हदीस की भ्रूण शास्त्र से सम्बन्धित आयतों आदि का अध्ययन किया तो आश्चर्यचकित रह गए….. क्योंकि उन्हें भ्रूण शास्त्र के संबंध में क़ुरआन में वर्णन ठीक आधुनिक खोज़ों के अनुरूप मिला….

1*कुछ आयतों के बारे में प्रोफेसर मूर ने कहा कि अभी वे इन आयतों के विषय मे ग़लत या सही का निर्णय नहीं सुना सकते क्यों कि अभी वे खुद इस बारे मे इतना नहीं जानते, इसमें क़ुरआन की सर्वप्रथम अवतरित हुई सूरह(96) “अल-अलक़” की आयत भी शामिल थी जिसका अनुवाद ये है-
“पढ़िए अपने रब्ब के नाम से, जिसने (दुनिया को) पैदा किया, और जिसने इंसान को जमे हुए खून से बनाया ॥”

इस आयत में अरबी भाषा में एक शब्द का उपयोग किया गया है “अलक़” …. इस शब्द का एक अर्थ होता है..”जमा हुआ रक्त” और इसी शब्द “अलक़” का एक और अर्थ होता है “जोंक जैसा”
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को उस समय तक भी यह मालूम नहीं था कि क्या माता के गर्भ में आरंभ में भ्रूण की सूरत जोंक की तरह होती है….। इसलिए डॉ. मूर उस समय तक कहने मे अक्षम थे कि ये आयत कितनी सही अथवा गलत है …. लेकिन कुरान की ये आयत पढ़कर, और पूर्व मे भ्रूण विज्ञान पर कुरान की आयतों के सटीक पाए जाने के कारण प्रोफेसर मूर ने इस आयत पर भी खोज करने की ठान ली….

*प्रोफेसर डॉ. मूर ने अपने कई प्रयोग इस बारे में किए और गहन अध्ययन के पश्चात उन्होंने कहा कि –
“हां पवित्र कुरान की आयत सत्य कहती है, और वास्तव मे ही माता के गर्भ में आरंभ में भ्रूण जोंक की आकृति में ही होता है …”
5यही नहीं, कुरान और हदीस का अध्ययन करने के बाद डॉ मूर ने भ्रूण शास्त्र के संबंध में अन्य 80 प्रश्नों के उत्तर भी दिए जो उन्होंने कुरान और हदीस में वर्णित वाक्य और आयतों से जाने थे, इन प्रश्नों के उत्तरो के बारे मे बताते हुए प्रोफेसर मूर ने कहा था कि “अगर आज से 30 वर्ष पहले मुझसे यह प्रश्न पूछे जाते तो मैं इनमें आधे भी उत्तर नहीं दे सकता था, क्यों कि तब तक विज्ञान ने इस क्षैत्र में इतनी प्रगति नहीं की थी…..”
– क्या ये विस्मय की बात नही है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान जिन प्रश्नों के उत्तर महज़ 30 साल पहले ही खोज पाया है, उन्ही प्रश्नो के उत्तर हमारे प्यारे नबी (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) हमे अब से कई सौ साल पहले दे गए हैं …

1981 में सऊदी मेडिकल कांफ्रेंस में डॉ. मूर ने घोषणा की कि उन्हें कुरान की भ्रूण शास्त्र की इन आयतों को देख कर इस बात का पूरा विश्वास हो गया है कि हज़रत मुहम्मद (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ईश्वर के पैग़म्बर ही थे । क्योंकि सदियों पूर्व जब विज्ञान खुद भ्रूण अवस्था में हो इतनी सटीक और सच्ची बातें केवल ईश्वर ही कह सकता है …

– बेशक आज से चौदह सौ साल पहले ऐसे अत्याधुनिक विज्ञान की बातों का ज्ञान किसी साधारण मनुष्य के पास हो ही नहीं सकता था, ऐसी बातें केवल और केवल ईश्वर की अनुकम्पा से ही कोई जान सकता था ….
*डॉ. मूर ने अपनी पुस्तक के 1982 के संस्करण में सभी बातों को शामिल किया है, ये पुस्तक कई भाषाओं में उपलब्ध है और प्रथम वर्ष के चिकित्साशास्त्र के विद्यार्थियों को पढ़ाई जाती है …
– इस पुस्तक “द डेवलपिन्ग ह्यूमन” को किसी एक व्यक्ति द्वारा चिकित्सा शास्त्र के क्षैत्र में लिखी गई श्रेष्ठ पुस्तक का अवार्ड भी मिल चुका है …. – @ [156344474474186:]

6वास्तव मे प्रोफेसर डॉ कीथ मूर की प्रसिद्धि मे एक बहुत बड़ी और बहुत महत्वपूर्ण भूमिका पवित्र कुरान और नबी (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) की ज्ञानपरक हदीसों की भी रही है … नास्तिकता का ढोल पीटने वाले अज्ञानी लोग भले ही कुरान की आयत और हदीसों को विज्ञान विरुद्ध कहकर लाख उनकी हंसी उड़ा लें, लेकिन जब भी कुरान और हदीस की इन्हीं बातों पर किसी ज्ञानवान व्यक्ति की नजर पड़ी है, तब तब विज्ञान के क्षेत्र मे नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं ….

*बेशक ये निशानियां हैं, उस सर्वशक्तिमान ईश्वर(अल्लाह) की ओर से अक्ल वालों के लिए … ताकि वे अपने रब्ब को जान जाएं

https://www.facebook.com/Islam-is-a-Science-of-Universe-198636603635672/?ref=bookmarks

DEEN aUR AAKHIRAT P-1

🙈DEEN aur AKHIRAT
🙉Tuesday June 07 2016🙊
रमज़ान का महीना.... हासिल क्या करना है ?
🙈Part-One🙉🙊
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🌿हम मुसलमानों ने कुरआन की तरह रमज़ान को भी
सिर्फ सवाब की चीज़ बना कर रख छोड़ा है,
🌿हम रमज़ान के महीने से सवाब के अलावा कुछ हासिल नहीं करना चाहते
🌿इसी लिए हमारी ज़िन्दगी हर रमज़ान के बाद
 फ़ौरन फिर उसी पटरी पर आ जाती है जिस पर वो रमज़ान से पहले चल रही थी,

🌿कुरआन हकीम रमज़ान के बारे में कुछ यूं फरमाता है -
🌿ऐ ईमान वालों तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किये गए है जैसे तुमसे पहली उम्मतों पर फ़र्ज़ किये गए थे ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ. (सूरेह बक्राह =183)
🌿रमज़ान के तीस दिन हलाल चीजों से रोका जाता है
🌿बिना मौसम की परवाह किये भूखा प्यासा रख कर इतनी सख्त प्रैक्टिस कराई जाती है
🌿ताकि बाकि के ग्यारह महिने हराम चाीजों से रूक सके...
🌿सिर्फ अपने मालिके हकीकी के लिये जीने मरने का अज्म हो और
🌿हर वक्त उसकी (अल्लाह) मौजूदगी का एहसास हो और उससे मिलने की तड़प हो
🌿रमज़ान अपनी असल में एक ट्रेनिंग का महीना है और
🌿इस महीने का मकसद इन्सान को सब्र, शुक्र और परहेज़ करने की ट्रेनिंग देना है.

🌿हम धीरे-धीरे सब्र, शुक्र और परहेज़ को समझने की कोषिष करेंगे
🌿अल्लाह हमें रमज़ान के रोजों को सही से रखने की तौफीक अता करे,
और उसके हकीकी मकसद को हमें अता करे
🌸आमीन
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✊✊✊ इंशाअल्लाह बाकी बातें कल✊✊✊
🌿रमजान के बारे में अगर आपके पास अच्छा और मुख्तसर मैटर हो तो हमें भेंजें
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